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दिल्ली के BJP नेता ने बताया, कैसे अरुण जेटली ने DUSU चुनाव में भगत को दी थी शिकस्त

भाजपा के वरिष्ठ नेता महेंद्र आहूजा राजनीति का चमकता हुआ सितारा हम सब से असमय दूर चला गया। इससे भाजपा को तो अपार क्षति पहुंची ही है भारतीय राजनीति को भी बहुत बड़ा नुकसान हुआ है।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 24 Aug 2019 03:39 PM (IST)Updated: Sat, 24 Aug 2019 03:39 PM (IST)
दिल्ली के BJP नेता ने बताया, कैसे अरुण जेटली ने DUSU चुनाव में भगत को दी थी शिकस्त
दिल्ली के BJP नेता ने बताया, कैसे अरुण जेटली ने DUSU चुनाव में भगत को दी थी शिकस्त

नई दिल्ली [सुधीर कुमार]। राजनीति का चमकता हुआ सितारा हम सब से असमय दूर चला गया। इससे भाजपा को तो अपार क्षति पहुंची ही है, भारतीय राजनीति को भी बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। भारतीय राजनीति के वह जीनियस थे, कुशल रणनीतिकार और सबसे कुशाग्र बुद्धि के थे, जिनके पास हर समस्या का समाधान होता था। उनका व्यक्तित्व करिश्माई था। यह कहना है भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के पूर्व महापौर महेंद्र आहूजा का।

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जेटली जब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष बने थे तब उनकी टीम में महेंद्र आहूजा भी शामिल थे। आहूजा पहले उनके कार्यकाल में सचिव रहे फिर उपाध्यक्ष बने थे। उनके व्यक्तित्व का ही कमाल था कि जब भाजपा का गठन हुआ तब अटल बिहारी ने जेटली जी को विशेष तौर पर अपनी टीम के लिए मांग लिया था। आहूजा कहते हैं कि जेटली की दिल्ली की राजनीति में यूं ही पकड़ मजबूत नहीं थी। एक तो वह मेधावी छात्र थे। कॉलेज में प्रवेश करते ही वह छात्र राजनीति से जुड़ गए और श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के छात्र यूनियन के अध्यक्ष चुने गए, फिर विश्वविद्यालय छात्र राजनीति में आ गए।

डूसू के उपाध्यक्ष और अध्यक्ष का जब उन्होंने चुनाव लड़ा तब उस समय के दिग्गज कांग्रेसी नेता एचकेएल भगत ने अपनी पार्टी की छात्र इकाई के प्रतिनिधि की जीत के लिए पूरी ताकत लगा दी थी, लेकिन अरुण जेटली जी के सामने सब फीके पड़े।

वह चुनाव प्रचार के लिए जिधर भी जाते छात्रों का भरपूर समर्थन मिलता जाता था, जहां वह दिखने में हीरो की तरह नजर आते थे वहीं जब वह भाषण देते थे तो उनके व्यक्तित्व के और विराट होने का पता चलता था, यही वजह रहा कि छात्रों ने उन्हें भरपूर समर्थन दिया जिससे उनकी जीत आसान हो गई, जबकि उन्हें हराने के लिए दिल्ली के दिग्गज कांग्रेसी जी जान से लगे थे। आहूजा कहते हैं कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बाद भाजपा में जाने पर उनका कद लगातार बढ़ता गया।

फिर भी उन्होंने अपने पुराने साथियों को कभी नहीं भुला। जब कभी मुलाकात होती थी तो गर्मजोशी के साथ। कुछ समय पहले बेटी की शादी का न्योता दिया था तो तबीयत खराब होने की वजह से वह आ नहीं पाए थे, फिर एक मीटिंग में मुलाकात हुई तो वह मुझे अलग बुलाकर ले गए और बेटी की शादी से लेकर अन्य जानकारी ली।

आहूजा कहते हैं कि वर्ष 93 से लेकर पिछले चुनाव तक उन्हें विधानसभा का टिकट मिलते मिलते रह गया। हर बार अरुण जेटली जी उनसे मिलते और आश्वस्त करते कि आप योग्य हैं, आपको टिकट जरूर मिलेगी। आपकी योग्यता को कोई कब तक दबा सकता है।

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