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बड़ी सौगातः दिल्ली-अलवर रैपिड रेल रूट की डीपीआर मंजूर, 160 km होगी रफ्तार

रूट पर 11 एलिवेटेड व पांच अंडरग्राउंड स्टेशन होंगे। कॉरिडोर के निर्माण में 24,975 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसके निर्माण में पांच साल का समय लगेगा।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 08 Dec 2018 07:47 AM (IST)Updated: Sat, 08 Dec 2018 01:45 PM (IST)
बड़ी सौगातः दिल्ली-अलवर रैपिड रेल रूट की डीपीआर मंजूर, 160 km होगी रफ्तार
बड़ी सौगातः दिल्ली-अलवर रैपिड रेल रूट की डीपीआर मंजूर, 160 km होगी रफ्तार

नई दिल्ली, जेएनएन। रैपिड रेल की दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर योजना भले ही अभी अधर में लटकी हो, लेकिन 180 किलोमीटर लंबी दिल्ली-रेवाड़ी-अलवर कॉरिडोर योजना ने गति पकड़ ली है। बृहस्पतिवार को एनसीआर परिवहन निगम की बोर्ड बैठक में इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को हरी झंडी दिखा दी गई है। अब यह डीपीआर राज्यों की स्वीकृति के लिए दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान सरकार को भेजी जाएगी।

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पहले चरण में 106 किलोमीटर हिस्से (सराय काले खां से शाहजहांपुर नीमराना बहरोड तक) का निर्माण होगा। 71 किलोमीटर का ट्रैक एलिवेटेड होगा, जबकि 35 किलोमीटर का अंडरग्राउंड होगी।  

इस कॉरिडोर पर 124 किलोमीटर ट्रैक ऐलीवेटेड तथा 56 किलोमीटर ट्रैक भूमिगत होगा। दिल्ली से अलवर के बीच रैपिड रेल ट्रैक पर कुल 19 स्टेशन बनाए जाएंगे, जिनमें से नौ स्टेशन भूमिगत तथा दस स्टेशन ऐलीवेटेड बनाए जाएंगे। इस ट्रैक पर औसतन 160 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से टेनें दौड़ेंगी। कॉरिडोर बनने के बाद दिल्ली से अलवर के बीच 180 किलोमीटर की दूरी तय करने में महज 104 मिनट लगेंगे।

इस कॉरिडोर के निर्माण में 24,975 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसमें 20 फीसद हिस्सा केंद्र सरकार वहन करेगी और 20 फीसद दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान सरकार वहन करेंगी, जबकि 60 फीसद ऋण लिया जाएगा। एनसीआर परिवहन निगम के महाप्रबंधक, सुधीर शर्मा ने बताया कि दिल्ली अलवर कॉरिडोर की डीपीआर पर अब राज्य सरकारों की मंजूरी मिलते ही आगे की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इसके निर्माण में पांच साल का समय लगेगा।

ये होंगे जंक्शन प्वाइंट

  •  जोर बाग : जोर बाग मेट्रो स्टेशन से मेट्रो ली जा सकेगी।
  •  मुनिरका : यहां भी मेट्रो स्टेशन है और मेट्रो मिल सकेगी।
  •  एयरोसिटी : यहां से एयरपोर्ट भी जा सकेंगे और मेट्रो भी ले सकेंगे।
  •    उद्योग विहार : यहां मेट्रो स्टेशन भी प्रस्तावित है।
  •   खेड़की दौला : यहां वाबल मेट्रो स्टेशन और बस स्टैंड दोनों प्रस्तावित हैं।
  •   पंचगांव : यहां बस अड्डा और मेट्रो स्टेशन दोनों प्रस्तावित हैं।
  •   बावल : यहां बस स्टैंड से बस ली जा सकेगी

यहां पर बता दें कि दावा यह भी किया जा रहा है कि यह परियोजना सड़कों पर वाहनों का बोझ कम करने में बेहद मददगार साबित हो सकती है। कुछ वर्षों का इंतजार जरूर करना पड़ेगा, लेकिन राजधानी व आसपास के शहरों के बीच सफर करना अब बेहद आसान हो जाएगा। इसके अमल में आने से दिल्ली और एनसीआर के कई शहर तेज गति वाले रैपिड रेल नेटवर्क से जुड़ जाएंगे। दिल्ली अलवर के बाद दिल्ली-पानीपत के बीच तीसरी परियोजना पर काम शुरू होना प्रस्तावित है।

100 से 160 किमी. प्रतिघंटे की गति से रफ्तार भरेगी रैपिड रेल
रैपिड रेल की परिचालन गति 160 किमी. प्रति घंटा होगी, जबकि 100 किमी. प्रति घंटा इसकी औसत गति रहेगी। रैपिड रेल नौ कोच की होगी और पांच से 10 मिनट के अंतराल पर उपलब्ध होगी।

अगले दो चरण में 74 किमी. का सफर
दिल्ली अलवर कॉरिडोर का दूसरा चरण शाहजहांपुर नीमराना बहरोड से सोतानाला तक होगा जोकि 40 किमी. का ट्रैक होगा। तीसरे चरण में यह ट्रैक 34 किमी. और आगे अलवर तक ले जाया जाएगा।

दो साल से अटकी है दिल्ली मेरठ कॉरिडोर की योजना
रैपिड रेल के दिल्ली मेरठ कॉरिडोर की योजना करीब दो साल से अधर में लटकी है। 90 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर का निर्माण जुलाई 2018 में शुरू हो जाना था। परियोजना में पांच हजार करोड़ के हिस्से वाली उत्तर प्रदेश सरकार व छह हजार करोड़ के हिस्से वाली केंद्र सरकार बहुत पहले अपनी स्वीकृति भी दे चुकी है। एक हजार करोड़ दिल्ली सरकार को देना है। दिल्ली सरकार इसे सैद्धांतिक मंजूरी देने के लिए भी तैयार है। हालांकि बजट के अभाव में अपना हिस्सा वह केंद्र से देने का अनुरोध कर रही है। केंद्र ने इस पर अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है।

दिल्ली मेरठ कॉरिडोर
-90 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर पर 18 स्टेशन होंगे। 30 किलोमीटर का ट्रैक भूमिगत, जबकि 60 किलोमीटर का एलिवेटेड बनाया जाएगा।

सुधीर शर्मा (महाप्रबंधक, एनसीआर परिवहन निगम) की मानें तो दिल्ली अलवर कॉरिडोर की डीपीआर पर अब राज्य सरकारों की मंजूरी मिलते ही आगे की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इस कॉरिडोर के निर्माण में पांच साल का समय लगेगा।
  


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