दिल्ली की हवा फिर हुई खराब, केजरीवाल बोले- सार्वजनिक वाहन इस्तेमाल करें लोग
सफर इंडिया और मौसम विभाग के मुताबिक, प्रदूषण के स्तर में एक-दो दिनों तक मामूली उतार-चढ़ाव ही होगा। दिल्ली में कुछ जगहों पर प्रदूषण खतरनाक श्रेणी में भी बना हुआ है।
नई दिल्ली, जेएनएन। मौसमी उतार-चढ़ाव के बीच बृहस्पतिवार को भी दिल्ली को प्रदूषण से निजात नहीं मिल पाई। प्रदूषण का स्तर बेहद खराब श्रेणी में ही बना हुआ है, वहीं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल बढ़े प्रदूषण के मद्देनजर लोगों से सार्वजनिक वाहनों का अधिक इस्तेमाल करने की सलाह दी है।
इससे पहले बुधवार को दिल्ली-एनसीआर में अधिकतर जगहों का एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से ऊपर दर्ज किया गया। हवा की गति बढ़ने पर एक-दो दिनों में कुछ सुधार के आसार हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, मौसम सर्द है और हवा में नमी है। खुले में कूड़ा जलाया जा रहा है। सड़कों पर धुआं छोड़ते वाहन भी खूब दौड़ रहे हैं। इन्हीं सब वजहों से प्रदूषण बेहद खराब बना हुआ है।
सफर इंडिया और मौसम विभाग के मुताबिक, प्रदूषण के स्तर में एक-दो दिनों तक मामूली उतार-चढ़ाव ही होगा। दिल्ली में कुछ जगहों पर प्रदूषण खतरनाक श्रेणी में भी बना हुआ है। इन जगहों पर सीपीसीबी ने सभी सरकारी विभागों और एजेंसियों को अतिरिक्त कदम उठाने को कहा है ताकि प्रदूषण नियंत्रित किया जा सके। हवा की गति 10 किलोमीटर प्रति घंटे होने पर सुधार की भी उम्मीद है।
गुरुग्राम में लोगों को मिली अच्छी हवा
जहां दिल्ली-एनसीआर के अधिकतर शहरों में एयर इंडेक्स बेहद खराब चल रहा है वहीं गुरुग्राम में इसका स्तर अच्छा रहा। बुधवार को यहां का एयर इंडेक्स महज 92 दर्ज किया गया। ज्ञात हो कि पिछले दिनों ईपीसीए अध्यक्ष डॉ. भूरेलाल ने इस पर आपत्ति जताते हुए सीपीसीबी को इसकी जांच करने के लिए भी कहा था। सीपीसीबी की इस बाबत रिपोर्ट तो अभी आई नहीं, मगर बुधवार को गुरुग्राम का एयर इंडेक्स एक बार फिर से संदेहास्पद रहा। दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 347, फरीदाबाद का 335, गाजियाबाद का 377, ग्रेटर नोएडा का 366, नोएडा का 324 रहा।
बढ़ते प्रदूषण पर आज एलजी लेंगे अधिकारियों की क्लास
बार-बार निर्देश जारी करने के बावजूद आनंद विहार एवं बवाना जैसे हॉटस्पॉट में प्रदूषण कम नहीं होने पर गुरुवार को उपराज्यपाल अनिल बैजल संबंधित अधिकारियों की क्लास लेंगे। इस बैठक में विभिन्न सरकारी विभागों के अधिकारी तलब किए गए हैं।
पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) के अध्यक्ष डॉ. भूरेलाल की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और नरेला-बवाना के उपायुक्त निशाने पर रह सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, ईपीसीए ने हॉट स्पॉट का निरीक्षण कर सुधार के लिए अनेक कदम उठाने के निर्देश जारी किए थे। लेकिन, अब तक काफी काम नहीं हो पाया है। ऐसे में अब गुरुवार को उपराज्यपाल स्थिति की समीक्षा करेंगे और आगे के लिए दिशा-निर्देश जारी करेंगे।
वहीं, राजधानी में उद्योगों द्वारा 1.2 फीसद से अधिक की सल्फर सामग्री के साथ पेट्रोलियम कोक के उपयोग से वायु गुणवत्ता पर पड़ रहे दुष्प्रभाव के खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने केंद्र व दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति वीके राव की पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ ही पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की इसकी अधीनस्थ निकायों से जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया है।
दिल्ली निवासी विनय कुमार दुबे ने याचिका में आरोप लगाया है कि दिल्ली में फर्नेस तेल और पेट कोक के इस्तेमाल पर 1996 में प्रतिबंध लग गया था, लेकिन इन्हें एल्यूमीनियम उद्योगों, सीमेंट कारखानों, रंगाई इकाइयों, पेपर मिलों द्वारा अब भी राष्ट्रीय राजधानी में इस्तेमाल किया जा रहा है। पर्यावरण मंत्रलय ने एनसीआर में पेट कोक के आयात पर प्रतिबंध भी लगाया है और भारत मानक ब्यूरो ने एल्यूमीनियम उद्योगों और सीपीसीबी और पर्यावरण प्रदूषण द्वारा 3.5 फीसद तक की सल्फर सामग्री के साथ पेट कोक का उपयोग करने की अनुमति दी है।