दिल्ली में अब सबको मिलेगी छत, नई लैंड पूलिंग पॉलिसी से हल होगी समस्या
डीडीए का कहना है कि राजधानी में करीब 20 हजार हेक्टेयर जमीन उपलब्ध हैं। नई लैंड पूलिंग पॉलिसी से वर्ष 2022 तक सबको मकान देने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना भी पूरा होगा।
नई दिल्ली [राज्य ब्यूरो]। दिल्ली में आवास की कमी दूर करने में सहकारी समूह आवासीय समिति (सीजीएचएस) की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 15 लाख से अधिक लोग समितियों के आवासीय परिसरों में रहते हैं। निर्माण से लेकर आवासीय परिसरों के रखरखाव की जिम्मेदारी समितियों की ही होती है। इसके बावजूद इनकी समस्या दूर नहीं की जा रही है। इससे दिल्ली में जरूरत के अनुसार नए मकान नहीं बन पा रहे हैं।
समस्या हल होगी
उम्मीद है कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की नई लैंड पूलिंग पॉलिसी से यह समस्या हल होगी। इससे समितियों को आवासीय परिसर विकसित करने के लिए जमीन मिलेगी। हालांकि फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) 200 से बढ़ाकर 400 हो जाता तो ज्यादा निर्माण हो सकते थे।
राजधानी में करीब 20 हजार हेक्टेयर जमीन उपलब्ध
डीडीए का कहना है कि राजधानी में करीब 20 हजार हेक्टेयर जमीन उपलब्ध हैं। नई लैंड पूलिंग पॉलिसी से वर्ष 2022 तक सबको मकान देने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना भी पूरा होगा। 95 गावों को विकास क्षेत्र घोषित करने की अनुमति पहले ही मिल चुकी है। अब वहां के किसानों, बिल्डरों एवं समितियों से आवेदन मागे जाएंगे।
शुरू कर दी गई है प्रक्रिया
इसकी प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। इन गावों में ग्राम सभा की जमीन का मालिकाना हक अब दिल्ली सरकार के पास आ गया है। जमीन को कब्जे में लेने के बाद डीडीए उसका आतरिक विकास करेगा और बाद में वह जमीन भू-स्वामी को वापस कर दी जाएगी। इसके एवज में भू-स्वामी से दो करोड़ रुपये प्रति एकड़ की दर से शुल्क वसूला जाएगा।
लैंड पूलिंग पॉलिसी को दो चरणों में बाटा गया
लैंड पूलिंग पॉलिसी को दो चरणों में बाटा गया है। पहले श्रेणी में वे भू-स्वामी होंगे जिनके पास 20 हेक्टेयर से अधिक जमीन है। दूसरी श्रेणी से दो हेक्टेयर से 20 हेक्टेयर तक जमीन वाले किसान होंगे। पहली श्रेणी के भू-स्वामी को डीडीए 60 फीसद जमीन वापस करेगा। इसमें से 53 फीसद आवास व 5 फीसद व्यावसायिक निर्माण में उपयोग कर सकेगा। वहीं, 2 फीसद भूमि उपयोग सार्वजनिक सुविधाओं के रूप में करना होगा। दूसरी श्रेणी में आने वाले भू-स्वामियों को 48 फीसद जमीन वापस मिलेगी। इसमें से 43 फीसद आवास, 3 फीसद व्यावसायिक निर्माण व 2 फीसद भूमि का उपयोग सार्वजनिक सुविधाओं के लिए करना होगा।