कर्फ्यू जरूरतमंदों को सूखा राशन उपलब्ध कराने की मांग
Delhi High Court कर्फ्यू के दौरान जरूरतमंद लोगों को मुख्यमंत्री कोरोना सहायता योजना (एमएमसीएसवाइ) के तहत सूखा राशन उपलब्ध करवाने की व्यवस्था जारी रखने की मांग को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
नई दिल्ली, विनीत त्रिपाठी। कर्फ्यू के दौरान जरूरतमंद लोगों को मुख्यमंत्री कोरोना सहायता योजना (एमएमसीएसवाइ) के तहत सूखा राशन उपलब्ध करवाने की व्यवस्था जारी रखने की मांग को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने दिल्ली सरकार व दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआइबी) को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब मांगा है।
याचिका पर अगली सुनवाई 13 मई को होगी
याचिका पर अगली सुनवाई 13 मई को होगी। गैर सरकारी संगठन दिल्ली रोजी रोटी अधिकार अभियान ने याचिका दायर कर कहा कि दिल्ली सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह जरूरतमंद लोगों को नि:शुल्क ताजा भोजन देने के लिए दोबारा राहत केंद्र शुरू करे। ताकि कर्फ्यू के दौरान कोई भी भूखा न रहे। इसके साथ ही यह भी मांग की कि ई-कूपन आवेदन स्वीकार करना शुरू करे। ऐसे आवेदनों के लिए कियोस्क व हैल्प डेस्क की सुविधा शुरू की जाए ताकि सभी को इसका लाभ मिल सके। याचिकाकर्ता संगठन ने कहा है कि पिछले सप्ताह दिल्ली सरकार को इस संबंध में पत्र लिखा था, लेकिन कोई जवाब नहीं आया।
हाई कोर्ट पहुंचा दिल्ली की निचली अदालताें में सुविधाओं की कमी का मामला
निचली अदालताें में स्थानीय आयुक्तों द्वारा सबूतों की रिकॉर्डिंग समेत अन्य सुविधाओं की कमी को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में इस बाबत योजना बनाने का दिल्ली सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
67 वर्षीय विधवा ने याचिका दायर कर कहा कि निचली अदालत में उन्होंने एक सिविल सूट दायर किया है। उन्होंने कहा कि एक समर्पित कमरे समेत मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण उनके साक्ष्य अब तक पटियाला हाउस कोर्ट के न्यायाधीशों के पुस्तकालय में दर्ज किए गए हैं। अधिवक्ता प्रशांत मेंदीरत्ता के माध्यम से दायर याचिका में महिला ने दावा किया कि साक्ष्य रिकार्ड किए जाने वाले स्थान पर अकसर अन्य मामलों में शामिल होने वाले लोगों के मौजूद होने के कारण भीड़ रहती है। इसके कारण बयान की गुणवत्ता में गिरावट आती है और मामले को पूर्व-निर्धारित करना पड़ता है। महिला ने मामले में हाई कोर्ट से तत्काल हस्तक्षेप कर निर्देश देने की मांग की है।