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हादसे रोकने के लिए हवाई अड्डों के रन-वे की सुरक्षा जांचेगा CRRI, लेजर और GPS उपकरण से लैस यंत्र करेगा जांच

एयरपोर्ट रन-वे पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया (एएआइ) और केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआइ) ने नई पहल की है। एक्सप्रेस-वे की तर्ज पर अब एयरपोर्ट रन-वे की जांच भी स्वचालित सिस्टम से की जाएगी।

By Ramesh MishraEdited By: Abhi MalviyaPublished: Thu, 02 Mar 2023 09:54 PM (IST)Updated: Thu, 02 Mar 2023 09:54 PM (IST)
एयरपोर्ट रन-वे पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एएआइ और CRRI ने नई पहल की है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। एयरपोर्ट रन-वे पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया (एएआइ) और केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआइ) ने नई पहल की है। एक्सप्रेस-वे की तर्ज पर अब एयरपोर्ट रन-वे की जांच भी स्वचालित सिस्टम से की जाएगी। टैक्सी-वे भी बेहतर होंगे। पायलट प्रोजेक्ट के तहत कोलकाता और चेन्नई समेत 10 हवाई अड्डों पर इस सिस्टम के तहत जांच शुरू की गई है। जानकारी के मुताबिक, विकसित किए गए एयरफील्ड पेमेंट मैनेजमेंट सिस्टम से क्रांतिकारी बदलाव की उम्मीद की जा रही है।

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इसके तहत देश के सभी रन-वे नेटवर्क का डिजिटलाइजेशन किया जा सकेगा। इसके बाद किसी भी प्रकार की खराबी आने पर यह सिस्टम तुरंत एयरपोर्ट अथारिटी को अलर्ट कर देगा। पता चल जाएगा कि किस उपकरण के मरम्मत की जरूरत है। एयरपोर्ट अथारिटी के साथ एयरलाइंस व अन्य यूजर्स को भी इसका लाभ मिलेगा। टैक्सी-वे पर कोई खराबी आएगी तो तुरंत यूजर को अलर्ट मिल जाएगा। सिस्टम 20 किलोमीटर से लेकर 100 किलोमीटर प्रतिघंटा तक की ट्रैफिक गति पर स्वचालित रूप से फील्ड डेटा एकत्र करने में सक्षम हैं।

ऐसे हो रही रन-वे की जांच 

सीआरआरआइ रन-वे की सुरक्षा जांच अपने विशेष यंत्र 'स्वचालित सड़क सर्वेक्षण प्रणाली' के जरिए अंजाम दे रहा है। इस प्रणाली को एक वाहन में स्थापित किया गया है। विज्ञानियों ने इस यंत्र का निर्माण भारतीय सड़कों की जरूरत के हिसाब से किया है। इसमें खास किस्म के कैमरे, लेजर तकनीक, जीपीएस और छवि प्रसंस्करण उपकरण स्थापित किए गए हैं। इसमें लगे यंत्र और प्रणाली सड़कों की गुणवत्ता का डाटा और आंकड़ा उपलब्ध कराते हैं। इसके बाद प्रयोगशाला में विज्ञानी इन आंकड़ों पर शोध कर सड़कों की स्थिति का आकलन करते हैं। अब तक 1.5 लाख किलोमीटर एक्सप्रेस वे का सर्वे हो चुका है। अब यह सिस्टम एयरपोर्ट रन-वे पर काम करेगा।

ऐसे किया गया एयरपोर्ट का चयन

वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक और प्रोजेक्ट लीडर रोड एसेट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट्स डा. प्रदीप कुमार ने बताया कि भौगोलिक ²ष्टि से देश को छह क्लाइमेट जोन में बांटा गया है। इन्हीं जोन के तहत अलग-अलग एयरपोर्ट को चयनित किया गया है। जांच की जा रही है कि रन-वे पर जलवायु का क्या प्रभाव पड़ता है। जनसंख्या धनत्व के साथ रन-वे और टैक्सी-वे पर वाहनों का दबाव बढ़ा है। इसके चलते अब इनकी लगातार जांच जरूरी हो गई है। वैज्ञानिकों के टीम में सीएसआइआर-सीआरआरआइ के निदेशक प्रो. मनोरंजन परिदा, इंजीनियर सुनील जैन शामिल हैं।

इन एयरपोर्ट पर काम कर रहा सिस्टम 

चेन्नई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, कोलकाता स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, सूरत हवाई अड्डा, कांगड़ा गग्गल हवाई अड्डा, राजमुंदरी हवाई अड्डा, वड़ोदरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, महाराजा छत्रसाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा मध्य प्रदेश, गया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, अगरतला अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, इम्फाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा।


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