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AIIMS के डॉक्टरों ने की सर्जरी, जवान की बाहर निकली आंत को शरीर के भीतर डाला

डॉक्टरों का कहना है कि मनोज की आंत का बाहर निकला हुआ हिस्सा बिल्कुल ठीक है। पेट खोलकर उसे अंदर अपनी जगह लगा दिया गया है। पहले वाली भी सर्जरी ठीक थी।

By Amit MishraEdited By: Published: Sat, 31 Mar 2018 11:33 AM (IST)Updated: Sun, 01 Apr 2018 03:46 PM (IST)
AIIMS के डॉक्टरों ने की सर्जरी, जवान की बाहर निकली आंत को शरीर के भीतर डाला
AIIMS के डॉक्टरों ने की सर्जरी, जवान की बाहर निकली आंत को शरीर के भीतर डाला

नई दिल्ली [जेएनएन]। नक्सली हमले में घायल होने के बाद चार साल तक समुचित इलाज के अभाव में आंत का एक हिस्सा पेट के बाहर लेकर भटकते रहने को मजबूर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान मनोज तोमर को आखिरकार बड़ी पीड़ा से राहत मिल गई। शुक्रवार को एम्स ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टरों ने सर्जरी कर बाहर निकली आंत को वापस शरीर के अंदर स्थानांतरित कर दिया। एम्स ट्रॉमा सेंटर प्रशासन के अनुसार उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है।

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सामान्य जीवन व्यतीत कर सकेंगे

एम्स के डॉक्टरों ने उनकी सर्जरी को आसान प्रक्रिया बताया है। डॉक्टरों का कहना है कि उनकी सर्जरी जटिल नहीं थी, फिर भी हैरानी की बात यह है कि वर्ष 2014 में नक्सली हमले में सात गोलियां लगने के बाद आंत का एक हिस्सा पॉलीथिन में लेकर घूमने को मजबूर थे। ट्रॉमा सेंटर में सर्जरी के बाद अब इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। डॉक्टरों को उम्मीद है कि वह सामान्य जीवन व्यतीत कर सकेंगे।

ढाई घंटे तक चली सर्जरी 

उल्लेखनीय है कि दैनिक जागरण ने 'पॉलीथिन में आंत रख भटक रहा सात गोलियां झेलने वाला जवान' शीर्षक से खबर प्रकाशित कर मनोज तोमर की व्यथा को देश के सामने रखा था। इसके बाद मध्यप्रदेश सरकार ने 10 लाख रुपये की सहायता राशि की घोषणा की। साथ ही सीआरपीएफ अधिकारियों की देखरेख में उन्हें इलाज के लिए मध्यप्रदेश से एसी एंबुलेंस में बुधवार को दिल्ली लाकर एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था। बृहस्पतिवार को उनकी सर्जरी की जानी थी लेकिन कुछ कारणों से सर्जरी टाल दी गई थी। इसके बाद शुक्रवार को करीब ढाई घंटे उनकी सर्जरी चली। ट्रॉमा सर्जरी के डॉक्टरों ने उनकी सर्जरी की।

आंत का बाहर निकला हुआ हिस्सा बिल्कुल ठीक है

ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टरों का कहना है कि उनकी आंत का बाहर निकला हुआ हिस्सा बिल्कुल ठीक है। पेट खोलकर उसे अंदर अपनी जगह लगा दिया गया है। पहले वाली भी सर्जरी ठीक थी। मल निकासी के लिए कोलोस्टोमी सर्जरी की गई थी। इस सर्जरी में पेट के एक हिस्से में छेद कर आंत का थोड़ा हिस्सा बाहर निकाल देते हैं ऑर कोलोस्टोमी बैग लगा दिया जाता है, जिसे नियमित रूप से बदलने की जरूरत पड़ती है। ऐसा नहीं करने पर संक्रमण होने का खतरा रहता है। वैसे जवान की यह कोलोस्टोमी सर्जरी नहीं करनी चाहिए थी। 

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