CPCB की रिपोर्ट, तीन सालों के दौरान जुलाई माह में सबसे बेहतर रही दिल्ली की आबोहवा
रिपोर्ट के मुताबिक इस साल जुलाई माह में दिल्ली का पर्यावरण काफी बेहतर रहा। खास बात यह है कि इस बार जुलाई में 19 दिन हवा की गुणवत्ता बेहतर रही।
नई दिल्ली [ जेएनएन ] । पिछले तीन सालों के दौरान इस साल जुलाई माह में दिल्ली की आबोहवा में सबसे ज्यादा सुधार देखा गाय है। माह के अधिकांश दिन वायु गुणवत्ता संतोष जनक और सामान्य रही। एक भी दिन दिल्ली की आबोहवा खराब नहीं देखी गई।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने बुधवार को पिछले तीन सालों में दिल्ली की वायु गुणवत्ता को लेकर रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट के मुताबिक इस साल जुलाई माह में दिल्ली का पर्यावरण काफी बेहतर रहा। खास बात यह है कि इस बार जुलाई में 19 दिन हवा की गुणवत्ता बेहतर रही।
सीपीसीबी से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक मई 2015 से लेकर जुलाई 2017 तक के 27 महीनों में से मात्र इस साल जुलाई में दो दिन आबोहवा बेहतर रही। 17 दिन हवा की गुणवत्ता संतोषजनक बताई गई। इसके अलावा 12 दिन मॉडरेट (मध्यम) रही।
दूसरी ओर पूर्व के वर्षों में हवा की गुणवत्ता कभी भी बेहतर नहीं पायी गई और न ही संतोषजनक रही। केवल अगस्त 2016 माह में 17 दिन पर्यावरण संतोषजनक रहा था।
जानकारी के मुताबिक मई 2015 में 18 दिन, अक्टूबर 2015 में 17 दिन, दिसंबर 2015 में 11 दिन, फरवरी 2016 में 13 दिन, मार्च 2016 में 16 दिन, अप्रैल 2016 में 25 दिन, मई 2016 में 19 दिन, जून 2016 में 12 दिन, अक्टूबर 2016 में 20 दिन, फरवरी 2017 में 22 दिन, मार्च 2017 में 18 दिन, अप्रैल 2017 में 12 दिन, मई 2017 में 17 दिन और जून 2017 में 10 दिन वायु गुणवत्ता खराब रही।
अत्यधिक खराब स्तर
नवंबर 2015 में 8 दिन, जनवरी 2016 में 6 दिन, नवंबर 2016 में 10 दिन, दिसंबर 2016 में 6 दिन पर्यावरण अत्यधिक खराब (सीवियर) रहा। लेकिन इस साल पिछले सात महीने में किसी भी दिन पर्यावरण इतना खराब नहीं रहा।
बारिश का भी असर
वायु प्रदूषण बढऩे अथवा पीएम 2.5 में इजाफे का मुख्य कारण वाहनों के चलने से उडऩे वाली सड़क किनारे की धूल और भवन निर्माण के दौरान उडऩे वाली धूल होती है। जबकि बारिश के दौरान हर तरह की धूल बैठ जाती है।
सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट में एयर क्वालिटी के प्रोग्राम मैनेजर विंग विवेक चटटोपाध्याय का कहना है कि इस वजह से भी बारिश के दौरान एयर क्वालिटी इंडेक्स में गिरावट देखने को मिलती है। हालांकि इसका मतलब स्थायी तौर पर प्रदूषण तत्व कम होना नहीं कहा जा सकता।