दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान में इलाज के दौरान कोरोना संक्रमित तीन में एक मरीज ने तोड़ा दम
Coronavirus दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान में इलाज के दौरान कोरोना के संक्रमण से पीडित तीन में एक कैंसर मरीज की मौत हो गई।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान में इलाज के दौरान कोरोना के संक्रमण से पीड़ित हुए तीन में एक कैंसर मरीज ने शुक्रवार को दम तोड़ दिया। कैंसर संस्थान में सबसे पहले एक डॉक्टर को कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ। इसके बाद इस संस्थान के 21 कर्मचारी और तीन मरीज कोरोना के चपेट में आ गए।
इलाज के दौरान कोरोना संक्रमित हुए बाकी दो अन्य मरीजों का इलाज अभी भी चल रहा है। डॉक्टरों की टीम इन दोनों कैंसर मरीजों के स्वास्थ्य का देखभाल में लगी हैं।
दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान में इलाज के दौरान तीन मरीज हुए थे संक्रमित
दिलशाद गार्डन के पास जीटीबी अस्पताल परिसर में स्थित दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान कोरोना के लिए हॉट-स्पाट बन चुका है। तीन डॉक्टरों, 18 नर्सिग स्टाफ के बाद यहां इलाज करा रहे तीन मरीज भी संक्रमित पाए गए थे। इन मरीजों को तुरंत राजीव गांधी सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया। इससे संक्रमण फैलने की आशंका और बढ़ गई है।
संस्थान के एक अधिकारी ने बताया कि कैंसर अस्पताल में भर्ती कुल 19 मरीजों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे। इसके बाद करीब नौ मरीज स्वेच्छा से अस्पताल से घर चले गए। अभी दस मरीज भर्ती थे। बृहस्पतिवार को जो रिपोर्ट आई उनमें तीन मरीजों में संक्रमण पाया गया है। अब इनके तीमारदारों के सैंपल भी जांच के लिए भेजे जाएंगे। साथ ही इन्हें देखने वाले डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ को फिलहाल घर में क्वारंटाइन किया गया है। यहां के अधिकतर डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की जांच हो चुकी है। इनमें 21 पहले ही पॉजिटिव मिल चुके हैं। बृहस्पतिवार को तीन मरीजों के साथ ही संक्रमितों की संख्या यहां 24 हो गई है।
प्रिवेंटिव ऑन्कोलॉजी के एक डॉक्टर के सबसे पहले संक्रमित होने का मामला सामने आया था। इसके बाद से यहां आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। कैंसर संस्थान के एक डॉक्टर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि वह भी कोरोना से संक्रमित होकर राजीव गांधी सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल में भर्ती हैं। उनका कहना है कि अभी तक यह पता नहीं चला है कि संक्रमण की असली वजह क्या है? कुछ लोग कहते हैं कि एक नर्सिंग स्टाफ की वजह से ऐसा हुआ है, जो 22 मार्च तक अस्पताल आए थे। उनमें इस वायरस की पुष्टि हुई है। इसके बाद एक प्रिवेंटिव ऑन्कोलॉजी के डॉक्टर संक्रमित हुए। संक्रमण के खतरे को देखते हुए शुरू से ही ओपीडी बंद करने की मांग की गई, लेकिन यहां पर ओपीडी कई दिनों तक चलती रही। मामले जब बढ़ने लगे, तब जाकर ओपीडी को बंद किया गया। कैंसर संस्थान में अभी भी सात मरीज भर्ती हैं।