शरजील इमाम केस में कोर्ट ने कहा- कोरोना के कारण नहीं हो सकती पेशी तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की मदद लें
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने शरजील इमाम के खिलाफ जारी समन एवं यूएपीए के तहत दायर आरोप पत्र पर बुधवार को संज्ञान लिया।
नई दिल्ली, एएनआइ। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने शरजील इमाम के खिलाफ जारी समन एवं यूएपीए के तहत दायर आरोप पत्र पर बुधवार को संज्ञान लिया। कोर्ट ने कहा कि वर्तमान कोरोना महामारी के कारण, यदि अभियुक्त को कोर्ट में पेश करना संभव नहीं है तो उसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश कर सकते हैं।
इधर, जिला अदालतों में वर्चुअल सुनवाई की सुविधा प्रदान करने के लिए पर्याप्त इंटरनेट स्पीड और राउटर उपलब्ध कराना समय की जरूरत है, ताकि वकीलों, वादियों और अधीनस्थ न्यायपालिका को असुविधा न हो। उक्त टिप्पणी करने के साथ ही न्यायमूर्ति हिमा कोहली व सुब्रमणियम प्रसाद की पीठ ने दिल्ली सरकार के इस कथन की आलोचना की कि जिला अदालतों द्वारा नेटवर्क भंडारण और राउटर की खरीद के लिए दो जरूरी प्रस्तावों को मंजूरी नहीं दी गई है, क्योंकि वित्तीय खर्च एक करोड़ रुपये से अधिक था।
दिल्ली सरकार ने कहा कि इस मामले को उचित मंजूरी के लिए मंत्रिपरिषद के समक्ष रखा जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान ओएसडी (परीक्षा) रितेश सिंह और जिला अदालतों की केंद्रीकृत कंप्यूटर समिति के अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार बंसल ने पीठ को जानकारी दी कि दो प्रस्ताव गैर-योजनागत व्यय के अंतर्गत आते हैं और इसके लिए निधि पहले से ही जिला अदालतों के पास उपलब्ध हैं।
इसके लिए बस दिल्ली सरकार से एक औपचारिक अनुमोदन की जरूरत है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार के सचिव (वित्त) की 31 जुलाई को होने वाली सुनवाई पर उपस्थिति रहने को कहा ताकि वह मामले में अदालत के समक्ष तथ्य स्पष्ट कर सकें। ध्यान दें कि जिला अदालतों से संबंधित सभी लंबित प्रस्ताव वर्ष 2018 से दिल्ली सरकार के अंत में लंबित हैं। यह अलग बात है कि मार्च में हुई कोविड-19 महामारी की स्थिति के कारण, 2020 तक, अदालतों को आभासी सुनवाई का सहारा लेना पड़ा है।
पीठ ने कहा कि जिला अदालतों से जुड़े प्रस्ताव दिल्ली सरकार के पास वर्ष 2018 से लंबित हैं और कोरोना महामारी के बीच वर्चुअल सुनवाई की आवश्यकता बढ़ी है। और यह मौजूदा समय की मांग है। दिल्ली सरकार के एडिशनल स्टैंडिंग काउंसल अनुपम श्रीवास्तव ने पीठ को बताया कि कानून मंत्री लंबित मामलों के संबंध में एक लिस्ट तैयार कर रहे हैं जिसे मंत्री परिषद के समक्ष पेश किया जाना है। दिल्ली हाई कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के लिए पर्याप्त इंटरनेट की सुविधा एवं तथ्यों को रिकॉर्ड करने की सुविधा की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है।