Delhi MCD Election 2022: पार्षद चुनेंगे महापौर, पहले वर्ष महिला के हाथ निगम की कमान
Delhi MCD Election 2022 महापौर निगमायुक्त से कोई भी रिकार्ड मांग सकते हैं। वहीं स्थायी समिति की मंजूरी के बाद ही निगमायुक्त की छुट्टी मंजूर होती है। दिल्ली नगर निगम में हर साल महापौर का चुनाव होता हैl पहला वर्ष महिला तो तीसरा साल अजा पार्षद के लिए आरक्षितl
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव परिणाम आने के बाद जिस राजनीतिक दल के पास बहुमत होगा, उसकी महिला पार्षद को महापौर बनने का मौका मिलेगा। चूंकि दिल्ली में महापौर का चुनाव सीधा नहीं होता है, ऐसे में जो पार्षद चुनकर आते हैं, वही महापौर चुनते हैं।
एक वर्ष का होता महापौर का कार्यकाल
साथ ही यह प्रक्रिया सभी पार्षदों को हर वर्ष करनी होती है, क्योंकि दिल्ली में महापौर का कार्यकाल केवल एक वर्ष का होता है। एमसीडी में सरकार के पांच वर्ष के कार्यकाल में से पहला वर्ष महिला पार्षद के लिए, तो तीसरा वर्ष अनुसूचित जाति के पार्षद के लिए आरक्षित है। अन्य तीन वर्षों में किसी भी श्रेणी और जाति का पार्षद महापौर बन सकता है।
दिल्ली नगर निगम एक्ट के अनुसार प्रत्येक वर्ष अप्रैल में होने वाली पहली बैठक में महापौर और उपमहापौर का चुनाव होता है। चूंकि इस बार चुनाव दिसंबर में हुए हैं, ऐसे में बहुमत लेकर आने वाले दल पर निर्भर करेगा कि वह सदन की बैठक कब बुलाता है। सदन की पहली बैठक बुलाए जाने पर महापौर के चुनाव की प्रक्रिया पूरी की जाएगी, जिसमें पहले महापौर पद के लिए नामांकन होगा।
ऐसे में उपराज्यपाल सदन की कार्रवाई के संचालन के लिए एक पीठासीन अधिकारी का चयन करते हैं। जब तक महापौर का निर्वाचन नहीं हो जाता, सदन की अध्यक्षता वही करते हैं। महापौर के निर्वाचन के बाद उपमहापौर पद के निर्वाचन की प्रक्रिया फिर महापौर पूरा कराता है।
बैठक से एक दिन पहले तक काम करते रहेंगे विशेष अधिकारी
दिल्ली के तीनों निगमों के एकीकरण के बाद 22 मई, 2022 से विशेष अधिकारी अश्वनी कुमार महापौर की शक्तियों का प्रयोग करते हुए कार्य कर रहे हैं। ऐसे में जब तक सदन की बैठक नहीं हो जाती, वह कार्य करते रहेंगे। यानी, जिस दिन बैठक होगी, उसके एक दिन पहले तक वह कार्य करते रहेंगे।
सदन है सर्वोच्च
दिल्ली नगर निगम में सदन सर्वोच्च है। बहुमत से सदन जो भी निर्णय लेता है, उसे नियमानुसार निगम अधिकारियों को लागू करना होता है। हालांकि, निगम के अधिकारियों की नियुक्ति से लेकर स्थानांतरण का अधिकार निगमायुक्त के पास हैं, लेकिन प्रतिनियुक्ति पर आने वाले अधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार सदन के पास है।
प्रतिनियुक्त पर आए अधिकारी की नियुक्ति के लिए निगम को सदन से मंजूरी लेनी होती है। वहीं, पांच करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं को स्वयं निगमायुक्त मंजूरी दे सकते हैं। इससे अधिक की परियोजनाओं को पूरा करने के लिए सदन की मंजूरी आवश्यक है।
कांग्रेस भी कर रही निगम चुनाव में जीत का दावा
महापौर पद के लिए लगने लगे कयास आम आदमी पार्टी (आप) और भाजपा के साथ ही कांग्रेस भी निगम चुनाव में जीत का दावा कर रही है। पार्टियों के बीच संभावित महापौर को लेकर भी कयास लगने लगे हैं। नियमानुसार दिल्ली नगर निगम के गठन के बाद पहला महापौर महिला बनती है। एकीकृत निगम में अंतिम महिला महापौर रजनी अब्बी रही थीं।
इस बार वह निगम चुनाव नहीं लड़ी हैं। आप में महापौर पद के लिए दिल्ली महिला आयोग की सदस्य रहीं प्रोमिला गुप्ता, महिला इकाई की प्रदेश संयोजक निर्मला देवी और पार्टी नेता कैप्टन शालिनी सिंह के नाम की चर्चा है। वहीं, भाजपा में महापौर पद के लिए संभावित उम्मीदवारों में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की पूर्व महापौर कमलजीत सहरावत, भाजपा नेता रेखा गुप्ता व पूर्वी दिल्ली की पूर्व महापौर नीमा भगत के नाम की चर्चा है।