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चीन से लौटी भारतीय छात्राओं ने बताई आपबीती, कोरोना वायरस से पड़ गए थे खाने के भी लाले

चीन में कोरोना वायरस का खतरा बढ़ने के बाद खाने के लाले पड़ गए थे। विश्वविद्यालय से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई थी।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 09:29 AM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 09:29 AM (IST)
चीन से लौटी भारतीय छात्राओं ने बताई आपबीती, कोरोना वायरस से पड़ गए थे खाने के भी लाले
चीन से लौटी भारतीय छात्राओं ने बताई आपबीती, कोरोना वायरस से पड़ गए थे खाने के भी लाले

नई दिल्ली [मनीषा गर्ग]। चीन में कोरोना वायरस का खतरा बढ़ने के बाद खाने के लाले पड़ गए थे। विश्वविद्यालय से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई थी। जैसे-तैसे मौका मिलने पर कुछ समय के लिए बाहर निकलते और एक बार में छह से सात दिन का खाना और जरूरी सामान खरीदकर लाते थे। मन में डर था कि कहीं हमें भी कोरोना वायरस अपने शिकंजे में न जकड़ ले। इतना कहते ही महाराष्ट्र की भाग्यश्री की आंखों से आंसू छलक उठे। चीन से भारत लौटी छात्र ने आइसोलेशन सेंटर से बाहर आने के बाद अपनी आपबीती बताई।

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भाग्यश्री ने बताया कि घर से माता-पिता फोन करते थे और कहते थे कैसे भी घर लौट आओ। उस समय हिम्मत से काम लेती थी और माता-पिता को समझाती थी कि मैं यहां सुरक्षित हूं, आप चिंता मत करो। उस समय कुछ भारतीय छात्रों ने मिलकर एक वीडियो बनाया और उसमें मदद की गुहार लगाई। उस वीडियो को सोशल मीडिया के माध्यम से मीडिया तक पहुंचाया।

खुशी की बात यह है कि हमारी कोशिश रंग लाई और हमारी वीडियो देखने के बाद भारत सरकार ने मदद के लिए हाथ बढ़ाया। आइसोलेशन सेंटर में आने के बाद रोजाना वीडियो कॉल के माध्यम से माता-पिता व दोस्तों के संपर्क में थी, उन्हें यहां की एक-एक गतिविधि से रूबरू करती थी।

फैसल हसन ने भी बताई आफबीती

जम्मू-कश्मीर के रहने वाले छात्र फैसल हसन ने बताया कि चीन में भी 20 दिनों तक विश्वविद्यालय से कहीं आने-जाने की सख्त मनाही थी और यहां आकर भी आइसोलेशन सेंटर में रख दिया गया। माता-पिता से मिलने नहीं दिया गया, इससे काफी तनाव हुआ। लेकिन मनोचिकित्सक, विशेषज्ञों की बदौलत काफी सहायता मिली। सेंटर में प्रशासन की तैयारियों की मैं सराहना करता हूं।

वहीं लखनऊ की सौम्या ने बताया कि मैं आइसोलेशन सेंटर में गुजारे वक्त को कभी नहीं भूल सकती। यहां मैं अपने दोस्तों के साथ थी, ऐसे में मुझे ज्यादा परेशानी नहीं हुई। इन 16 दिनों के दौरान किसी को कहीं आने-जाने की आजादी नहीं थी, ऐसे में काफी परेशानी हुई। यहां मैंने कई संस्कृतियों को जाना और समझा। एक तरह से पिकनिक जैसा माहौल था।

विदाई के वक्त खूब ली सेल्फी

आइसोलेशन सेंटर से बाहर आने के बाद विद्यार्थियों ने एक-दूसरे के साथ जमकर सेल्फी ली। विशेषकर इन 16 दिनों के दौरान आइटीबीपी के चिकित्सक डॉ. हरविंदर से विद्यार्थियों की काफी दोस्ती हो गई थी। उन्होंने विद्यार्थियों को पंजाबी भाषा सिखाई और उनकी भाषा को भी सीखने का प्रयास किया। आइटीबीपी प्रशासन की ओर से प्रत्येक व्यक्ति को गिफ्ट दिया गया, ताकि उनके लिए यह समय हमेशा याद रहे। आइसोलेशन सेंटर से रवाना हो रहे विद्यार्थियों को देखकर डॉ. हर¨वदर की आंखों में आंसू थे और चेहरे पर खुशी।

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