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Coronavirus: प्लाज्मा दान कर किसी के काम आ सकी तो सौभाग्य: पद्मश्री गीता चंद्रन

गीता चंद्रन ने बताया कि पांच जून को अचानक तेज बुखार आया फिर कोरोना हो गया। हालांकि घर में ही रह कर इसका इलाज किया और ठीक हो गई अब प्‍लाज्‍मा दान करूंगी।

By Prateek KumarEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 09:00 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2020 07:45 AM (IST)
Coronavirus: प्लाज्मा दान कर किसी के काम आ सकी तो सौभाग्य: पद्मश्री गीता चंद्रन
Coronavirus: प्लाज्मा दान कर किसी के काम आ सकी तो सौभाग्य: पद्मश्री गीता चंद्रन

नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। भरतनाट्यम नृत्यांगना पद्मश्री गीता चंद्रन कोरोना को मात देने के बाद अब प्लाज्मा दान करना चाहती हैं। कहतीं हैं कि अभी तो दो दिन हुए हैं ठीक हुए, जैसे ही तय सीमा अवधि पार होगी, प्लाज्मा दान करुंगी। अगर किसी संक्रमित की जान बचा पायी तो इससे बड़े सौभाग्य की बात क्या होगी।

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पांच जून को आया था बुखार

गीता चंद्रन ने दैनिक जागरण से विस्तार से हुई बातचीत में बताया कि पांच जून को अचानक तेज बुखार आया। चूंकि मार्च महीने के बाद से ही मैं कहीं बाहर नहीं निकल रही थी इसलिए पहले पहल डॉक्टर ने वायरल समझा।

पांचवें दिन चली गई सूंघने व स्‍वाद की शक्ति

चार दिनों तक बुखार की दवा खायी, बुखार तो उतर गया लेकिन पांचवे दिन अचानक मेरी सूंघने व स्वाद की शक्ति चली गई। डॉक्टर की सलाह से कोविड-19 का टेस्ट कराया जो पॉजीटिव आया। संक्रमण की पुष्टि के तीन दिन बाद पति की रिपोर्ट भी पॉजीटिव आयी। मुझे बुखार था, खांसी आती व सूंघने की शक्ति चली गई थी। काफी कफ जमा हो गया था। शुरूआती पांच दिन बहुत मुश्किल थे, लेकिन मैंने कई ऐसे उपाय किए जिनसे मुझे काफी लाभ हुआ।

जाप व ध्‍यान से मन को किया एकाग्र

मसलन, मैं प्रतिदिन जाप, ध्यान करती थी। करीब दो घंटे तक जाप व ध्यान करने से मेरा मन एकाग्र रहा। नकारात्मक खबरें देखना बंद कर दी। किताबें पढ़ती, हास्य फिल्में देखती। फिल्मी गाने, क्लासिकल संगीत खूब सुनती। पूरे संक्रमण के दौरान वैद्य जी की सलाह से सिर्फ खिचड़ी खायी। चावल और दो दालों को मिलाकर बनी खिचड़ी काफी फायदेमंद रही। हल्दी दूध और काढ़ा का भी सेवन किया। प्राणायाम भी करती थी। लेकिन अगर कोई मुझसे पूछे कि सबसे ज्यादा फायदा किससे मिला तो मैं जाप और ध्यान को कहूंगी।

आक्सीमीटर व थर्मामीटर जरूरी

मेरा घर पर ही रहकर इलाज हुआ। हां, पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर हर समय साथ रखी। हर छह घंटे में आक्सीजन लेवल चेक करती। एक बात जरूर साझा करना चाहूंगी कि जब संक्रमण की पुष्टि हुई तो प्रशंसकों, जानने वालों के संदेश, फोन आने शुरू हो गए। लेकिन, ये संदेश कई बार ऐसे होते हैं कि आप व्यथित हो जाते हैं। मसलन, इन संदेशों में लिखा होता था कि आप कोरोना ग्रसित हो गई, कोरोना पीड़ित हो गई, कोरोना ने जकड़ लिया आदि-आदि। भले ही ये हमारे शुभचिंतकों के संदेश थे लेकिन इनकी भाषा का क्या ही कहना।


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