एक दूसरे पर दोष मढ़ने के बजाय दिल्ली में बेड और टेस्टिंग तत्काल बढ़ाए सरकार : कांग्रेस
कांग्रेस ने दिल्ली में कोरोना महामारी के मरीजों के इलाज की दयनीय हालत पर मानवाधिकार आयोग के नोटिस को लेकर आम आदमी पार्टी के साथ भाजपा को आड़े हाथों लिया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कांग्रेस ने दिल्ली में कोरोना महामारी के मरीजों के इलाज की दयनीय हालत पर मानवाधिकार आयोग के नोटिस को लेकर आम आदमी पार्टी के साथ भाजपा को आड़े हाथों लिया है। पार्टी के अनुसार आप सरकार और केंद्र की भाजपा सरकार के एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालने के खेल से राजधानी की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। हालात की गंभीरता को देखते हुए कांग्रेस ने तत्काल दिल्ली के सभी अस्पतालों के 70 फीसद बेड कोरोना मरीजों के लिए निर्धारित करने और 10 हजार वेंटीलेटर की व्यवस्था करने की मांग उठाई है।
एनएचआरसी को पहली नजर में दिल्ली की हालात गंभीर
कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी के साथ संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में यह मांग की। उन्होंने कहा कि आप और भाजपा ने मिलकर दुनिया के सबसे बडे लोकतंत्र की राजधानी दिल्ली का बंटाधार कर दिया है। दोनों कुशासन और अपनी गलती छुपाने के लिए एक दूसरे के सिर दोष मढ़ रहे हैं। कांग्रेस नेता अजय माकन की तथ्यों के आधार पर की गई शिकायत पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के राज्य सरकार को नोटिस जारी किए जाने को सिंघवी ने बेहद अहम बताते हुए कहा कि एनएचआरसी को पहली नजर में दिल्ली की हालात गंभीर लग रही है।
दिल्ली को 42 हजार बेड और 10 हजार वेंटीलेटर की जरूरत
दिल्ली सरकार के महेश वर्मा कमिटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए सिंघवी ने कहा कि जून-जुलाई में जब कोरोना उफान पर होगा तब 42 हजार बेड और 10 हजार वेंटीलेटर चाहिए। लेकिन सरकारी आंकड़े के हिसाब से इस समय कोविड के लिए महज 472 वेंटीलेटर ही हैं। वहीं केंद्र व दिल्ली सरकार और प्राइवेट अस्पतालों को मिलाकर 57 हजार बेड हैं लेकिन इनमें से राज्य के 12 फीसद व केंद्र के आठ और निजी अस्पतालों के सात फीसद बेड ही कोरोना मरीजों के लिए है जो बेहद कम है। सिंघवी ने कहा कि दिल्ली में कोविड से बड़ी संख्या में लोग मर रहे हैं और आलम टेस्टिंग से पहले ही मौत के शिकार होने वाले लोगों के शव का कोविड टेस्ट नहीं किया जा रहा है।
शवों के अंतिम संस्कार के लिए भी लंबी लाइन
उनके मुताबिक कोविड से होनेवाली मौतों की संख्या कम दिखाने के लिए ऐसा किया जा रहा। ऐसा कर कांट्रेक्ट ट्रेसिंग चेन के आइसीएमआर व डब्लूएचओ के प्रोटोकाल की भी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। अस्पताल में बेड का गंभीर अभाव है और कोविड टेस्टिंग को नकारा जा रहा है। हालत इतनी खराब है कि शवों के अंतिम संस्कार के लिए भी लंबी लाइन है जो मृत व्यक्ति ही नहीं उनके परिजनों के लिए भी बेहद पीड़ादायक है। अनिल चौधरी ने कहा कि हालत यह है कि लोगों का सरकारी अस्पतालों में ही कम टेस्ट नहीं हो रहा बल्कि निजी लैब को भी ज्यादा टेस्ट नहीं करने के लिए धमकाया जा रहा है और हालात सरकार के हाथों से निकल गए हैं।