दिल्ली में सरकारी कर्मचारियों के वोट पर कांग्रेस की नजर, माकन ने भाजपा पर लगाया गंभीर आरोप
अजय माकन ने कहा कि इससे पहले भी एनडीए सरकार में सरकारी कर्मियों के खिलाफ फैसले हुए थे और अब मोदी भी ऐसा कर रहे हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली में लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे राजनीतिक बयानबाजी तेज हो रही है। शनिवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन ने भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) और एनडीए सरकार के खिलाफ हमला बोला। उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में सरकारी कर्मचारियों की जितनी अनदेखी हुई उतनी कभी भी नहीं हुई।
प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष माकन ने कहा कि इससे पहले भी एनडीए सरकार में सरकारी कर्मियों के खिलाफ फैसले हुए थे और अब मोदी भी ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 1953 में पहला वेतन आयोग आया। 2006 में छठवां वेतन आयोग होना चाहिए था लेकिन भाजपा ने इसे रोका।
कांग्रेस को सरकारी कर्मचारियों का हितैषी बताते हुए माकन ने कहा कि 2005 में मैंने अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना दिया था। 2006 से एरियर(arrear) मिलने की मांग की थी, उसके बाद सांसद में भी मामला उठाया गया था। 7वां वेतन आयोग 2013 में आना चाहिए था, उस वक़्त मैं कैबिनेट मिनिस्टर था। मैंने वेतन आयोग की पुरजोर मांग उठायी गयी। वेतन आयोग का गठन चिदंबरम ने किया था।
सरकारी कर्मचारियों की तरफदारी करते हुए कांग्रेस नेता ने भाजपा पर आरोप लगाया कि सातवें वेतन आयोग में छठे वेतन आयोग के फायदे भी वापस ले लिए। उन्होंने कहा कि 7वें वेतन आयोग में केवल 14.29% वृद्धि हुई। इससे निचले और उच्च पदों के वेतन में अंतर बढ़ा है।
अजय माकन ने कहा कि नई दिल्ली में 35 फीसद सरकारी कर्मी हैं जबकि पूरी दिल्ली में 20% हैं। उन्होंने कहा कि सभी सरकारी कर्मचारियों की समस्याओं को कांग्रेस ने प्रमुखता से उठाया है। फिलहाल कांग्रेस के इस आरोप पर भाजपा की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है।
बता दें कि दिल्ली में सरकारी की संख्या काफी अधिक है। ऐसे में कांग्रेस की नजर इनके वोटबैंक पर है। आप से गठबंधन नहीं होने पर कांग्रेस दिल्ली की सभी सात सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारें हैं। अजय माकन नई दिल्ली से चुनाव लड़ रहे हैं। वे उस समय चर्चा में आये थे जब उन्होंने वरिष्ठ भाजपा नेता जगमोहन को हराया था।
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