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'ई-बसों की खरीद में 750 करोड़ रुपये का घोटाला, जनता के सामने जवाब दें केजरीवाल'

माकन ने आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार ने 1000 ई-बसों की खरीद में 750 करोड़ रुपये के घोटाले की तैयारी कर ली है। सीएम को जनता के सामने जवाब देना चाहिए।

By Amit MishraEdited By: Published: Sun, 22 Jul 2018 05:49 PM (IST)Updated: Sun, 22 Jul 2018 08:03 PM (IST)
'ई-बसों की खरीद में 750 करोड़ रुपये का घोटाला, जनता के सामने जवाब दें केजरीवाल'
'ई-बसों की खरीद में 750 करोड़ रुपये का घोटाला, जनता के सामने जवाब दें केजरीवाल'

नई दिल्ली [जेएनएन]। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने ई-बसों की खरीद के मामले में दिल्ली की 'आप' सरकार पर कड़ा हमला बोला है। प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार ने 1000 ई-बसों की खरीद में 750 करोड़ रुपये के घोटाले की तैयारी कर ली है। क्योंकि ईपीसीए ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ई-बसों की लागत 75 लाख से 1.75 करोड़ प्रति होनी चाहिए। अर्थात 75 लाख प्रति ई-बस की लागत ज्यादा दिखाकर दिल्ली के करदाताओं की जेब पर डाका डाला जा रहा है।

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इलेक्ट्रिक बसों की लागत मूल्य

अजय माकन ने आरोप लगाया कि नियमों को ताख पर रखकर सरकार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के शपथपत्र के जवाब में भूरेलाल की अध्यक्षता वाली ईपीसीए कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इलेक्ट्रिक बसों की लागत मूल्य का बेंच मार्क तय किया गया है, जिसमें प्रति बस की कीमत 75 लाख से 1.75 करोड़ रखी गई। जबकि दिल्ली सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपने शपथपत्र में प्रति बस की कीमत 2.5 करोड़ दी है जो कि बहुत ज्यादा है।

पैसा लैप्स हो गया या अन्य कार्य में खर्च किया गया 

कांग्रेस नेता ने कहा कि बेंगलुरु तथा हैदराबाद में बस चलाने के लिए प्राइवेट ऑपरेटर को 40 रुपये प्रति किलोमीटर की दर निर्धारित है। ऑपरेटर को कोई सब्सिडी भी नहीं दी जाती। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार प्रति बस 1 करोड़ की सब्सिडी भी दे रही है। जबकि दिल्ली सरकार इसे बढ़ाकर 55 रुपये प्रति किलोमीटर करने जा रही है। उन्होंने कहा कि ईपीसीए ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा है कि प्रति वर्ष परिवहन विभाग को राशि आवंटित की गई थी। लेकिन, बसें नहीं खरीदी गईं। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि या तो पैसा लैप्स हो गया या दूसरे किसी अन्य कार्य में खर्च कर दिया गया।

बसों की खरीद को दी गई मंजूरी 

माकन ने कहा कि सीएम केजरीवाल ने दावा किया था कि प्रत्येक कैबिनेट मीटिंग की रिकार्डिंग हुआ करेगी तथा इसका सीधा प्रसारण भी किया जाएगा ताकि सरकार के काम और फैसलों में पारदर्शिता बनाई जा सके, लेकिन कुछ नहीं हुआ। केजरीवाल ने सीसीटीवी कैमरे बंद करवाकर कैबिनेट की बैठक में 1000 ई-बसों की खरीद को मंजूरी दे दी। इसके लिए डिम्ट्स को नॉमिनेशन के आधार पर सलाहकार भी नियुक्त कर दिया गया। इस बैठक में डिम्ट्स को सलाहकार नियुक्त किए जाने के पीछे क्या भ्रष्टाचार है और उनकी मंशा क्या है। यह सरकार को साफ करना चाहिए।

जनता के सामने जवाब दें केजरीवाल 

माकन ने कहा कि दिल्ली सरकार के वित्त व योजना विभाग ने सरकार के इस प्रस्ताव का विरोध किया। जिसमें कहा गया कि बिना डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट के कैबिनेट 2500 करोड़ के प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं दे सकती है। परिवहन विभाग ने डिम्ट्स को सलाहकार बनाने का विरोध किया। मगर केजरीवाल ने बात नहीं मानी। माकन ने कहा कि केजरीवाल को इस बारे में जनता के सामने जवाब देना चाहिए। 


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