Move to Jagran APP

Salman Rushdie: सलमान रश्दी पर कातिलाना हमले की निंदा, मुस्लिम धर्मगुरुओं से आगे आने का आह्वान

Salman Rushdie चिंताजनक बात यह है कि इस कट्टरता के खिलाफ जैसी बुलंद आवाज भारत जैसे लोकतांत्रिक देश से उठनी चाहिए थी वह उठ नहीं रही है बल्कि यही लोग दूसरों पर इस्लाम को बदनाम करने का आरोप लगाते हैं।

By Pradeep Kumar ChauhanEdited By: Published: Sun, 14 Aug 2022 11:18 AM (IST)Updated: Sun, 14 Aug 2022 11:18 AM (IST)
Salman Rushdie: सलमान रश्दी पर कातिलाना हमले की निंदा, मुस्लिम धर्मगुरुओं से आगे आने का आह्वान
Salman Rushdie: रुश्दी की एक पुस्तक को लेकर ईरान से उनकी हत्या का फतवा जारी हुआ है।

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। Salman Rushdie: बुकर पुरस्कार विजेता लेखक सलमान रुश्दी के ऊपर न्यूयार्क में शुक्रवार को हुए कातिलाना हमले पर बहुसंख्य मुस्लिम समाज भले ही चुप्पी साधे हो, लेकिन देश के मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने सामने आकर ऐसे लोगों को आईना दिखाने की कोशिश की है। साथ ही इस घटना की निंदा और कट्टरपंथी सोच पर तंज कसते हुए मुस्लिम धर्मगुरुओं को आगे आने का आह्वान भी किया है।

loksabha election banner

उनके मुताबिक पैगम्बर मुहम्मद की शिक्षा यह नहीं थी, जो आज समाज को पढ़ाई और समझाई जा रही है। पैगम्बर मुहम्मद ने मानवता और इंसानियत का ही संदेश दिया, लेकिन वर्तमान में इस्लाम में ही ऐसे लोग हैं जो धर्म के नाम पर समाज को भयाक्रांत कर रहे हैं। चिंताजनक बात यह है कि इस कट्टरता के खिलाफ जैसी बुलंद आवाज भारत जैसे लोकतांत्रिक देश से उठनी चाहिए थी, वह उठ नहीं रही है, बल्कि यही लोग दूसरों पर इस्लाम को बदनाम करने का आरोप लगाते हैं।

माना जाता है कि रुश्दी पर हमला इस्लामिक कट्टरपंथी द्वारा की गई है। रुश्दी की एक पुस्तक को लेकर ईरान से उनकी हत्या का फतवा जारी हुआ है। इंडियन मुस्लिम्स फार प्रोग्रेस एंड रिफा‌र्म्स (आइएमपीआर) के अध्यक्ष डा. एमजे खान ने कहा कि इस मामले में भारत के साथ ही पूरी दुनिया के मुसलमानों को पैगम्बर मुहम्मद साहब की शिक्षाओं से सीख लेनी चाहिए, जो हमेशा मानवता की भलाई के लिए थी।

उसमें माफ करना बड़ी शिक्षा थी, लेकिन आज वह व्यवहार में नहीं है। आज उनकी शिक्षाओं को किनारे रखकर और विकृत मानसिकता को बढ़ावा देकर मुस्लिम समाज खुद को कठघरे में खड़ा कर रहा है, लेकिन दोष दूसरों के सिर पर मढ़ा जा रहा है। यह सोच इंसानियत के साथ इस्लाम के नाम पर कलंक है। इस पर मुस्लिम समाज को पुनर्विचार करना होगा।

जमात उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सुहैब कासमी ने कहा कि इसी घृणित सोच और मानसिकता ने उदयपुर में कन्हैया लाल समेत देश के विभिन्न हिस्सों में हमले और हत्याएं कराई, जैसा कि रुश्दी के मामले में हुआ है। मौलाना ने कहा कि यह रवैया आजादी के बाद से अब तक कायम है, अन्यथा मुस्लिमों के लिए अलग मोहल्ले, अलग संस्थाएं और अलग व्यवस्थाएं नहीं होतीं।

मुस्लिम समुदाय को इस पर गंभीरता से विचार करना होगा कि आज वह किसके साथ खड़ा है। देवबंद व जामिया के साथ भोपाल और हैदराबाद के शिक्षा के बड़े केंद्रों से कट्टरवाद को बढ़ावा और प्रश्रय क्यों मिल रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.