विपक्ष का हमला, अधूरा रह गया दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का AAP का वादा
इस बिल को लेकर वह दूसरे दलों के प्रमुखों के पास जाएंगे उनसे अनुरोध करेंगे कि बिल पर वे लोग अपनी सहमति दें। मगर बाद में कुछ भी नहीं हुआ। अब वह शांत हैं। अब लगता ही नहीं कि इस सरकार के लिए यह भी कोई मुद्दा है।
नई दिल्ली [ जेएनएन ]। दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का आप का वादा अधूरा रह गया है। सत्ता में आने के बाद दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए बड़ा आंदोलन करने की मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की थी।
उन्होंने यह भी कहा था कि इस बिल को लेकर वह दूसरे दलों के प्रमुखों के पास जाएंगे उनसे अनुरोध करेंगे कि बिल पर वे लोग अपनी सहमति दें। मगर बाद में कुछ भी नहीं हुआ। अब वह शांत हैं। अब लगता ही नहीं कि इस सरकार के लिए यह भी कोई मुद्दा है।
आपको बता दें कि दिल्ली सरकार ने बिल के ड्राफ्ट को जनता के सुझावों के लिए अपनी वेबसाइट पर मई 2016 में डाला था। लेकिन उसके बाद से इस मामले में कार्रवाई शांत है। जबकि आम आदमी पार्टी ने 2015 के विधानसभा चुनाव में इस बात की खूब चर्चा की थी।
इसका प्रचार भी किया था कि सत्ता में आने पर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलवाया जाएगा। सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक प्रेस वार्ता कर इस बारे में जनता को जानकारी दी थी कि वह दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए आंदोलन चलाएंगे।
इस मुद्दे को लेकर सभी दलों को पत्र लिखेंगे। दलों के प्रमुखों के पास जाएंगे। उनसे इस मसले पर बात करेंगे। मगर बाद में कुछ नहीं हुआ। सब कुछ कागजों में ही रह गया है। दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए आप ने भी प्रेस वार्ता कर कहा था कि पार्टी इसके लिए हर स्तर पर काम करेगी।
इस मसले पर जनदबाव बढ़ाने के लिए जनमत संग्रह कराने की भी पार्टी की रणनीति थी। आप ने कहा था कि सरकारी स्तर पर मंथन जनमत संग्रह कराने के तरीके पर हो रहा है। वहीं कार्यकर्ताओं के साथ भी इस मसले पर विचार जारी है। कई तरह की सलाह मिल रही है। आप इसके लिए चुनाव आयोग की मदद लेने या किसी स्वतंत्र एजेंसी को इसका जिम्मा देने की बात कर रही थी। मगर सब कुछ अब गायब है।
वैसे ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए आप सरकार ने जनता से वादा किया हो। इससे पहले भी 1994 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग की थी।
इसके बाद 1998 में तत्कालीन मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा ने एक ड्राफ्ट तैयार कराया। यह ड्राफ्ट संसद तक भी पहुंचा लेकिन इसे मंज़ूरी नहीं मिली। ऐसा ही कुछ 2003 में कांग्रेस सरकार ने भी किया जिन्होंने बिल बनवाकर संसद तक पहुंचाया, स्टेंडिंग कमेटी का गठन किया, लेकिन इतना कुछ करने के बावजूद इसे मंज़ूरी नहीं मिली।
इस सब के बाद केजरीवाल से लोगों को उम्मीद अधिक थी। लोगों को लग रहा था कि पहले के नेताओं की तरह आप सरकार नहीं करेगी। मगर लोगों को केजरीवाल से भी लाभ नहीं मिला है।
दिल्ली विधानसभा नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल वे सारे वादे करते,जिनके बारे में वह कुछ नहीं करते हैं। दिल्ली की जनता उन्हें पिछले ढाई साल से देख रही है। उन्होंने जनता को गुमराह करने के अलावा कोई काम नहीं किया है।