...और तब हरियाणा के 'ताऊ' के इशारे पर चलती थी देश की राजनीति
ताऊ के नाम से चर्चित हुए पूर्व उपप्रधानमंत्री चौ. देवीलाल का परिवार आज भले ही विचारधारा के धरातल पर कई खेमों में बंटा हुआ है लेकिन एक समय था जब देश के कई वरिष्ठ राजनीतिज्ञ और देश की राजनीति हरियाणा के ताऊ के इशारे पर चलती थी।
रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। ताऊ के नाम से चर्चित पूर्व उपप्रधानमंत्री चौ. देवीलाल का परिवार आज भले ही विचारधारा के धरातल पर कई खेमों में बंटा हुआ है, लेकिन एक समय था जब देश के कई वरिष्ठ राजनीतिज्ञ और देश की राजनीति हरियाणा के ताऊ के इशारे पर चलती थी। वर्ष 1989 में उन्होंने एक साथ रोहतक, फिरोजपुर और सीकर लोकसभा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था और रोहतक और सीकर से जीत दर्ज कर संसद में पहुंचे थे।
चौपालों पर ताऊ से जुड़े ऐसे किस्सों की कमी नहीं है जो उनकी सरलता और गांव-गरीब-किसान से लगाव को साबित करते हैं, लेकिन राष्ट्रीय राजनीति की बात करें तो हरियाणा में चौ. देवीलाल ही ऐसे नेता हुए हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में सबसे बड़ा कद और किंगमेकर का ओहदा हासिल किया था। चौ. देवीलाल ने हालांकि रोहतक लोकसभा सीट से त्यागपत्र देकर संसद में सीकर का प्रतिनिधित्व किया था, लेकिन एक साथ तीन स्थानों से चुनाव लड़ने के पीछे उनका मकसद बिल्कुल स्पष्ट था।
तीन स्थानों पर चुनाव लड़कर वह खुद की राजनीति का दायरा बढ़ाने के इच्छुक थे। कांग्रेस से ही राजनीति में आगे बढ़ने वाले चौ. देवीलाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी पहले अपने खास अंदाज में कांग्रेस मुक्त भारत की बात करनी शुरू कर दी थी। हालांकि उन्होंने सीधे कांग्रेस मुक्त भारत की बात नहीं की, लेकिन तीसरे मोर्चे की परिकल्पना उनकी केंद्र में गैर कांग्रेस-गैर भाजपा सरकार बनाने की मंशा से ही जुड़ी थी।
ऐसे देवीलाल ने बनाई अपनी पहचान
इंदिरा गांधी मंत्रीमंडल में रहते हुए चौ. बंसीलाल ने भी अपनी राष्ट्रीय पहचान बनाई और प्रदेश में मुख्यमंत्री रहते हुए तेज विकास के कारण विकास पुरुष का रुतबा भी हासिल किया, लेकिन देश में बड़े किसान नेता की उपाधि चौ. देवीलाल के नाम ही रही। अगर लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह यादव जैसे गैर कांग्रेसी व गैर भाजपाई चेहरे आज भी राजनीति में चमकते दिखाई पड़ रहे हैं तो इसका श्रेय हरियाणा के लाल के कमाल को ही जाएगा।
नौवें दशक के उत्तरार्ध में जनता दल नेता के रूप में उन्होंने राजनीति में जुबान के मायने में भी साबित किए। यह बात हर किसी को पता है कि बहुमत से संसदीय दल का नेता चुने जाने के बावजूद चौ. देवीलाल ने प्रधानमंत्री पद स्वीकार करने की बजाय वादे के अनुरूप विश्वनाथ प्रताप सिंह को प्रधानमंत्री बनवाया था। हालांकि कुछ लोग इसे तब की अंदर की राजनीति से जोड़कर भी देखते हैं, लेकिन धुरंधर भी यह मानते हैं कि देवीलाल जुबान से मुकरते तो प्रधानमंत्री की कुर्सी उनके कब्जे में आ चुकी थी।
ताऊ का सफरनामा
चौधरी देवीलाल का जन्म हरियाणा के सिरसा जिले में 25 सितम्बर 1914 को हुआ था। 6 अप्रैल 2001 को उनका निधन हो गया था। देवीलाल 19 अक्टूबर 1989 से 21 जून 1991 तक देश के उपप्रधानमंत्री रहे। वे 21 जून 1977 से 28 जून 1979 और 17 जुलाई 1987 से 2 दिसम्बर 1989 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री भी रहे।
कांग्रेस से राजनीति में अपनी पहचान बनाने वाले देवीलाल ने वर्ष 1971 में पार्टी छोड़ दी। वे आपातकाल में जेल गए। आपातकाल के समय चौ. देवीलाल महेन्द्रगढ़ के किले में बनी अस्थायी जेल में भी बंद रहे थे। बताया जाता है कि भाजपा के साथ उनके रिश्ते मधुर थे। उनकी लोकप्रियता इतनी थी कि उन्होंने अपने गठबंधन सहयोगी के साथ 90 में से 85 विधानसभा सीटें जीती।