ईडी ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा- मनी लांड्रिंग मामले की मास्टरमाइंड थी एनएसई की पूर्व एमडी चित्रा रामकृष्ण
रामकृष्ण की जमानत याचिका का विरोध करते हुए न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ को बताया कि काल इंटरसेप्शन और निगरानी का आदेश उनके ही माध्यम से दिया जा रहा था। उस समय वह उप प्रबंध निदेशक थीं।उन्होंने ने ही निगरानी के लिए टेलीफोन नंबरों और कर्मचारियों की पहचान की थी।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) के कर्मचारियों के अवैध फोन टैपिंग से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में गंभीर आरोप लगाते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि एनएसई की पूर्व एमडी चित्रा रामकृष्ण आपराधिक साजिश की मास्टरमांइड थी। रामकृष्ण की जमानत याचिका का विरोध करते हुए न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ को बताया कि काल इंटरसेप्शन और निगरानी का आदेश उनके ही माध्यम से दिया जा रहा था। उस समय वह उप प्रबंध निदेशक थीं। उन्होंने ने ही निगरानी के लिए टेलीफोन नंबरों और कर्मचारियों की पहचान की थी।
ईडी ने कहा- कई लोगों ने की है पुष्टि
ईडी ने यह भी कहा कि सभी स्वीकृतियां या तो उसके माध्यम से दी गई थी या उसके द्वारा दी गई थी। उन्होंने अनुबंध देने के लिए हुई प्रारंभिक बैठक में एनएसई का प्रतिनिधित्व किया था। ईडी की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता जुहैब हुसैन ने पीठ के समक्ष कहा कि हमारे पास उस समय एनएसई में काम करने वाले कई लोगों के बयान हैं, जो इन तथ्यों की पुष्टि करते हैं कि वह टेलीफोन नंबर और कर्मचारियों की पहचान कर रही थी। जब रामकृष्ण का उनसे सामना हुआ तो उन्होंने इसे स्वीकार भी किया। उन्होंने कुछ भी इन्कार नहीं किया।
क्या है मामला
ईडी के अनुसार फोन टैपिंग का मामला 2009 से 2017 की अवधि का है जब एनएसई के पूर्व सीईओ रवि नारायण, रामकृष्ण, कार्यकारी उपाध्यक्ष रवि वाराणसी, और प्रमुख (परिसर) महेश हल्दीपुर और अन्य ने एनएसई को धोखा देने की साजिश रची थी। एजेंसी ने आरोप लगाया कि उन्होंने एनएसई की साइबर कमजोरियों का अध्ययन करने की आड़ में एनएसई के कर्मचारियों के फोन काल को अवैध रूप से इंटरसेप्ट करने के लिए आइएसईसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को नियुक्त किया। चित्रा रामकृष्ण को पहले सीबीआइ ने गिरफ्तार किया था और फिर ईडी ने 14 जुलाई को हिरासत में लिया था।