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Tablighi Jamaat case: सरकार ने SC में कहा, निजामुद्दीन मरकज केस में सीबीआइ जांच की जरूरत नहीं

Tablighi Jamaat case केंद्र ने कहा कि निजामुद्दीन मामले की जांच नियम-कानून के मुताबिक हो रही है और समयबद्ध तरीके से रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 02:48 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 02:48 PM (IST)
Tablighi Jamaat case: सरकार ने SC में कहा, निजामुद्दीन मरकज केस में सीबीआइ जांच की जरूरत नहीं
Tablighi Jamaat case: सरकार ने SC में कहा, निजामुद्दीन मरकज केस में सीबीआइ जांच की जरूरत नहीं

नई दिल्ली [माला दीक्षित]। Tablighi Jamaat case: निजामुद्दीन मरकज मामले में केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर अपने हलफनामे में कहा है कि मामले में सीबीआइ जांच की कोई जरूरत नहीं है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से कहा है कि निजामुद्दीन मामले की जांच नियम-कानून के मुताबिक रोजाना हो रही है। साथ ही उम्मीद जताई कि समयबद्ध तरीके से रिपोर्ट भी प्रस्तुत दी जाएगी।

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गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ओर से यह हलफनामा जनहित याचिका के जवाब में आया है, जिसमें मरकज मामले में सीबीआइ जांच की मांग की गई है। याचिका के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से निजामुद्दीन मरकज के आयोजन और आनंद विहार में प्रवासियों के जुटने की सीबीआइ जांच की मांग पर जवाब तलब किया था।

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि दिल्ली पुलिस डे टू डे बेसिस पर मामले की जांच कर रही है और  जल्द ही इस मामले में अदालत में जांच रिपोर्ट दाखिल की जाएगी। यह कहा गया है कि अगर सुप्रीम कोर्ट कहेगा तो इस मामले का जांच से जुड़ी जानकारियों की सील बंद स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को भी तैयार है।

सुप्रीम कोर्ट ने निजामुद्दीन मरकज मामले  पिछले सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हृषिकेश राय की पीठ ने वकील सुप्रिया पंडित की याचिका पर केंद्र सरकार एवं दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था।

बता दें कि याचिकाकर्ता ने कोरोनवायरस से लोगों के जीवन की सुरक्षा में लापरवाह रवैया अपनाने को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार पर निष्क्रियता का आरोप लगाया। खंडपीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सरकार का पक्ष जानना चाहा, जिस पर उन्होंने एक सप्ताह की मोहलत मांगी और न्यायालय ने इसे मंजूर कर लिया, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। याचिका में यह कहा गया है कि कोरोना के चलते देशभर में लॉकडाउन घोषित था, बावजूद इसके देश-विदेश के लोग क्यों बड़ी संख्या में मरकज में जमा रहे, जबकि आयोजन लॉकडाउन से करीब एक सप्ताह पहले ही खत्म हो चुका था। 


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