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एयर इंडिया से जुड़ी सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका का केंद्र सरकार ने किया विरोध

दिल्ली हाई कोर्ट ने एयर इंडिया मामले में स्वामी के अलावा केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता व टाटा समूह की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे का पक्ष सुनने के बाद कहा कि अदालत याचिका पर छह जनवरी को आदेश पारित करेगी।

By Prateek KumarEdited By: Published: Tue, 04 Jan 2022 03:23 PM (IST)Updated: Tue, 04 Jan 2022 03:23 PM (IST)
एयर इंडिया से जुड़ी सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका का केंद्र सरकार ने किया विरोध
छह जनवरी को दिल्ली हाई कोर्ट याचिका पर पारित करेगा आदेश।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया और अधिकारियों द्वारा दी गई मंजूरी को रद करने की मांग को लेकर दायर की गई राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका का केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में विरोध किया है। स्वामी ने विनिवेश प्रक्रिया को लेकर अपनाई गई कार्यप्रणाली को मनमाना, दुर्भावनापूर्ण और भ्रष्ट बताया है।

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मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल व न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने मामले में स्वामी के अलावा केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता व टाटा समूह की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे का पक्ष सुनने के बाद कहा कि अदालत याचिका पर छह जनवरी को आदेश पारित करेगी।

इस दौरान पीठ ने केंद्र सरकार समेत अन्य प्रतिवादियों को मंगलवार दिन में ही संक्षिप्त नोट दाखिल करने को कहा, जबिक स्वामी को बुधवार तक एक संक्षिप्त नोट दाखिल करने की स्वतंत्रता दी। स्वामी ने याचिका दायर कर एयर इंडिया विनिवेश प्रक्रिया के संबंध में अधिकारियों द्वारा किसी भी कार्रवाई या निर्णय और अनुमोदन, अनुमति या परमिट को रद करने की मांग की है। स्वामी ने अधिवक्ता सत्य सबरवाल के माध्यम से दायर याचिका में अधिकारियों की भूमिका और कामकाज की केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) से जांच कराने और अदालत के समक्ष एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने की भी मांग की है।

पिछले साल अक्टूबर में केंद्र सरकार ने एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के 100 प्रतिशत इक्विटी शेयरों के लिए टाटा संस कंपनी द्वारा की गई उच्चतम बोली को स्वीकार कर लिया था। सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि याचिका तीन गलत धारणाओं पर आधारित है और इस पर किसी विचार की जरूरत नहीं है।

वहीं, हरीश साल्वे ने दलील दी कि याचिका में कुछ भी नहीं है और बोलियां पूरी हो चुकी हैं शेयर समझौतों पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं और यह सब काफी समय से सार्वजनिक डोमेन में है। पिछले साल 25 अक्टूबर को सरकार ने 18,000 करोड़ रुपये में राष्ट्रीय वाहक एयर इंडिया की बिक्री के लिए टाटा संस के साथ शेयर खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किया था। टाटा 2,700 करोड़ रुपये नकद चुकाएगी और एयरलाइन का 13,500 करोड़ रुपये का कर्ज अपने ऊपर लेगी।


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