'विशेष निदेशक के खिलाफ मामला दर्ज करने में प्रक्रिया का हुआ पालन'
राकेश अस्थाना के वकील ने कहा कि उनमे मुवक्किल को बेवजह प्रताड़ित किया जा रहा है, जबकि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। रिश्वतखोरी के मामले में घिरे केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) के निदेशक आलोक कुमार वर्मा ने शुक्रवार को हाई कोर्ट में कहा कि विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ रिश्वत के मामले में एफआइआर दर्ज करने की प्रक्रिया में सभी अनिवार्य नियमों का पालन किया गया है।
वर्मा की तरफ से उनके वकील ने दावा किया कि एफआइआर रद करने की मांग के साथ अस्थाना द्वारा दायर याचिका में सीबीआइ निदेशक पर लगाए गए आरोप झूठे हैं। वहीं, सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति नज्मी वजीरी की पीठ के समक्ष राकेश अस्थाना के वकील ने कहा कि उनमे मुवक्किल को बेवजह प्रताड़ित किया जा रहा है, जबकि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं।
उन्होंने फिर कहा कि अस्थाना के खिलाफ मामला दर्ज करने से पहले केंद्र सरकार से अनुमति नहीं ली गई। अस्थाना ने न तो रिश्वत की मांग की और न ही रिश्वत ली। ऐसे में उन्हें आरोपित नहीं बनाया जा सकता। केंद्र सरकार की तरफ से मनिंदर आचार्य ने पीठ को बताया कि सामान्य तौर पर सरकारी कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई करने से केंद्र सरकार से अनुमति लेना जरूरी है। यह मामला केंद्र सरकार के समक्ष नहीं लाया गया था, ऐसे वह कुछ नहीं कहना चाहती।
दलीलें सुनने के बाद अदालत ने मामले में अगली सुनवाई की तारीख 20 दिसंबर तय कर दी। गौरतलब है कि कारोबारी सतीश सना से दो करोड़ रुपये रिश्वत के मामले में 15 अक्टूबर को सीबीआइ ने विशेष निदेशक राकेश अस्थाना और डीएसपी देवेंद्र कुमार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी।
सीबीआइ ने देवेंद्र कुमार व मनोज प्रसाद को गिरफ्तार किया था। हाई कोर्ट ने राकेश अस्थाना की याचिका पर अंतरिम राहत देते हुए उनके मामले में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे, जबकि देवेंद्र को 31 अक्टूबर को जमानत मिल गई थी। राकेश अस्थाना ने भी सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया है।