Cancer भी नहीं तोड़ सका 'कांति' का छठ व्रत रखने का हौसला, पति ने दिया हर कदम पर साथ
कैंसर होने के बावजूद छठ पर कांति का व्रत रखने का हौसला नहीं टूटा और भगवान के प्रति उनकी आस्था जीत गई और बीमारी ने उनके आगे घुटने टेक दिए।
शुजाउद्दीन, पूर्वी दिल्ली। कहते हैं हौसलों से बड़े से बड़े मुकाम को हासिल किया जा सकता है। दिलशाद गार्डन में रहने वाली 60 वर्षीय कांति सिंह को पर सटीक बैठती हैं। कैंसर होने के बावजूद छठ पर व्रत रखने का उनका हौसला नहीं टूटा और भगवान के प्रति उनकी आस्था जीत गई और बीमारी ने उनके आगे घुटने टेक दिए।
कांति सिंह ने बताया कि 2015 में अचानक उन्हें शौच के साथ खून आया, उन्होंने यह बात अपने पति शंकर सिंह को बताई। उन्होंने घर के पास ही एक डॉक्टर को दिखाया, उन्हें बीमारी गंभीर लगी इलाज के लिए बड़े अस्पताल में जाने के लिए बोला। वह मैक्स अस्पताल गई, जहां पर उनके कई टेस्ट हुए। उसमें उनकी बच्चेदानी में कैंसर आया। कैंसर के बारे में पता चलने के कुछ वक्त बाद ही छठ पूजा थी, डॉक्टर ने बताया कि उनका इलाज लंबा चलेगा और खानपान पर विशेष ध्यान देना पड़ेगा।
कांति सिंह ने कहा कि कैंसर का नाम सुनते ही लोगों के माथे पर पसीने आ जाते हैं, लेकिन इस बीमारी का पता चलने पर वह मानसिक रूप से टूटी नहीं। उन्होंने कहा कि उनका जीवन छठी मैया ने दिया है, अगर यह जीवन उनपर कुर्बान करने पड़े तो कोई दिक्कत नहीं है। छठी मैया पर विश्वास के रहते 2015 में छठ का व्रत रखा, इस दौरान उन्हें काफी परेशानी भी झेलनी पड़ी। अभी उनका कैंसर ठीक नहीं हुआ है, लेकिन फिर भी छठ का व्रत रख रही हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष उनका 26वां व्रत है और जब तक शरीर में सांस रहेगी वह व्रत रखेंगी। उन्हें उम्मीद है कि छठी मैया उनकी बीमारी को दूर करेंगी।
पति ने दिया हर कदम पर साथ
कांति सिंह ने बताया कि उनके बुढ़ापे का सहारा पति शंकर सिंह हैं। उनके पति ने जीवन के हर एक मोड़ पर उन्हें संभाला है। कैंसर की बात पता चलने पर एक बार को उन्हें धक्का जरूर लगा था, लेकिन पति ने हाथ थामकर कहा कि जीवन में बीमारी आती जाती रहती है। कैंसर से घबराना नहीं है, डटकर इसका सामना करें। शंकर सिंह ने बताया कि उनकी पत्नी ही उनका जीवन है, बच्चे शादीशुदा हैं उनका अपना परिवार है। ऐसे में वह ही अपनी पत्नी को इलाज के लिए अस्पताल लेकर जाते हैं। उन्होंने कहा कि हौसले से बड़ी से बड़ी बीमारी को हराया जा सकता है, पत्नी के इलाज में काफी पैसा खर्च हुआ है लेकिन उन्होंने इस बात का एहसास कभी पत्नी को नहीं होने दिया। उन्हें यकीन है कि व्रत रखने से उनकी पत्नी जरूर ठीक हो जाएंगी।
नई पीढ़ी व्रत का नाम सुनकर घबरा जाती है
कांति सिंह ने कहा कि नई पीढ़ी व्रत का नाम सुनकर ही घबरा जाती है, पुराने लोग ही छठ का व्रत रख सकते हैं। छठ पूजा अनुशासन, संयम सिखाती है, नई पीढ़ी में यह नहीं है।