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Congress Politics News: दिल्ली नगर निगम चुनाव से पहले क्या कांग्रेस में हो सकता है बड़ा फेरबदल

Congress Politics News चर्चा है कि शक्ति सिंह गोहिल प्रदेश में संभावित फेरबदल को लेकर वरिष्ठ नेताओं से रायशुमारी कर रहे हैं। अब अगर धरातल पर गौर करें तो निगम चुनावों का समय नजदीक आता जा रहा है जबकि पार्टी की बेहतरी और मजबूती के लिए कुछ हो नहीं रहा।

By Jp YadavEdited By: Published: Thu, 19 Aug 2021 08:50 AM (IST)Updated: Thu, 19 Aug 2021 08:50 AM (IST)
Congress Politics News: दिल्ली नगर निगम चुनाव से पहले क्या कांग्रेस में हो सकता है बड़ा फेरबदल
Congress Politics News: दिल्ली नगर निगम चुनाव से पहले क्या कांग्रेस में हो सकता है बड़ा फेरबदल

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। आगामी दिल्ली नगर निगम चुनावों को लेकर कांग्रेसियों में आजकल चर्चाओं और अफवाहों का दौर खासा गर्म है। एक चर्चा है कि आलाकमान दिल्ली कांग्रेस के सभी पूर्व अध्यक्षों के साथ बैठक कर प्रदेश इकाई में बदलाव करना चाहते हैं। दो पूर्व अध्यक्षों को इस आशय के संकेत भी ऊपर से मिल चुके हैं। दूसरी चर्चा यह है कि आलाकमान ने फिलहाल दिल्ली में ब्लाक या जिला स्तर पर किसी भी बदलाव से इन्कार कर दिया है। केवल कुछ नेताओं की कार्यसमिति बनाए जाने पर विचार चल रहा है। तीसरी चर्चा है कि दिल्ली प्रदेश प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल भी प्रदेश में संभावित फेरबदल को लेकर वरिष्ठ नेताओं से रायशुमारी कर रहे हैं। अब अगर धरातल पर गौर करें तो निगम चुनावों का समय नजदीक आता जा रहा है जबकि पार्टी की बेहतरी और मजबूती के लिए कुछ हो नहीं रहा। ऐसे में यही कह सकते हैं कि बदलाव हो तो बात बने।

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सियासी यात्राओं पर कांग्रेस की दफ्तरी जुगाली

दिल्ली कांग्रेस की सियासत भी अजीब रूप ले चुकी है। खुद कुछ करना नहीं और दूसरा करे तो उस पर आपत्ति करते रहो। नगर निगम चुनावों के मद्देनजर जनता के बीच जाने की सर्वाधिक जरूरत कांग्रेस को ही है, लेकिन जन आशीर्वाद और तिरंगा यात्रा के जरिये जा रही हैं भाजपा और आप। इस बहाने समर्थकों और कार्यकर्ताओं दोनों से जुड़ने व उन्हें एकजुट करने का अवसर भी मिल रहा है। लेकिन कांग्रेस हर रोज प्रेस वार्ता कर इन सियासी यात्राओं पर सवाल खड़े कर रही है। पार्टी नेताओं का कहना है कि जब केंद्र की भाजपा और दिल्ली की केजरीवाल सरकार पिछले सात सालों में हर मोर्चे पर नाकाम रही है तो फिर जनता उन्हें आशीर्वाद क्यों दे? सवाल तार्किक है, लेकिन आशीर्वाद दे या नहीं, यह फैसला जनता को करने देना चाहिए। कांग्रेस को चाहिए कि दूसरों को कमजोर करने की नहीं बल्कि खुद मजबूत करने की कोशिश करे।

महिला कांग्रेस को फिर मिला नया मुद्दा

एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में 25 रुपये की वृद्धि ने दिल्ली महिला कांग्रेस को फिर नया मुद्दा दे दिया। प्रदेश महिला अध्यक्ष अमृता धवन को जैसे ही इसकी जानकारी मिली, विरोध मार्च निकालने की तैयारी में जुट पड़ीं। आनन फानन में प्ले कार्ड एवं कुछ खाली सिलेंडर मंगाए और महिला कार्यकर्ताओं के साथ पहुंच गईं केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी के आवास पर। अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की कार्यवाहक अध्यक्ष नेटा डिसूजा को भी बुला लिया गया। कुछ देर नारेबाजी की, मोदी सरकार को भला बुरा कहा और फोटो सेशन करा विरोध पूरा किया। सियासत में चर्चित रहने के लिए आखिर यह सब करना ही पड़ता है। महिला कांग्रेस तो वैसे भी मुददा लपकने को तैयार ही बैठी रहती है। हालांकि इस बात के लिए महिला कांग्रेस की तारीफ की भी जा सकती है कि जितने कम समय में वह सक्रिय होती है, उतनी जल्दी प्रदेश कांग्रेस कभी नहीं हो पाती।

हरियाणा के नेताजी ने संभाली 'दिल्ली' की कमान

कोई बड़ा निर्णय तो कांग्रेस आलाकमान ले नहीं पा रहा, लेकिन नगर निगम चुनावों को लेकर कुछ हद तक ¨चता जरूर नजर आने लगी है। इसी चिंता का परिणाम है कि प्रदेश इकाई के सभी 14 जिलों की कमान हरियाणा के 14 विधायकों को सौंप दी गई है। जिला पर्यवेक्षक के रूप में इन सभी ने अपनी जिम्मेदारी भी संभाल ली है। यह सभी विधायक अपने- अपने जिले की रिपोर्ट तैयार कर ऊपर देंगे, जिसमें जिले की कमजोरी और मजबूती बताने के साथ-साथ संभावित उम्मीदवारों के नामों का जिक्र भी रहेगा। हालांकि कुछ स्थानीय नेताओं को हरियाणा के इन विधायकों से वैचारिक परेशानी भी है, लेकिन कुछ कर नहीं पा रहे। वैसे इन विधायकों को दिल्ली की कमान सौंपने के पीछे दांव-पेच यह भी है कि हरियाणा के साथ दिल्ली वासियों का मेलजोल काफी अच्छा है। यह मेलजोल पार्टी को चुनाव में वोट दिलाने में भी मददगार हो सकता है।


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