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CAA Delhi Protest: उपद्रवियों पर कड़ी कार्रवाई के लिए आदेश का इंतजार करती रही पुलिस

CAA Delhi Protest सूत्र बताते हैं कि दिल्ली पुलिस के अफसर नहीं चाहते थे कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी के बीच देश की राजधानी में स्थिति विस्फोटक हो।

By Neel RajputEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 09:57 AM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 09:57 AM (IST)
CAA Delhi Protest: उपद्रवियों पर कड़ी कार्रवाई के लिए आदेश का इंतजार करती रही पुलिस
CAA Delhi Protest: उपद्रवियों पर कड़ी कार्रवाई के लिए आदेश का इंतजार करती रही पुलिस

नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। CAA Delhi Protest: सीएए के खिलाफ उत्तर-पूर्वी जिले के विभिन्न इलाकों में रविवार शाम को हुई हिंसा के बाद सोमवार को भी प्रदर्शनकारियों ने जमकर उपद्रव किया, लेकिन दिल्ली पुलिस कड़ी कार्रवाई से परहेज करती रही। हालात यह थे कि हेड कांस्टेबल (हवलदार) की हत्या के बाद भी पुलिस ने न लाठीचार्ज का आदेश दिया और न ही हवाई फायरिंग कर उपद्रवियों को खदेड़ने का प्रयास किया गया। पुलिस मुख्यालय में अफसर हालात को लेकर मंथन करते रहे।

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सूत्र बताते हैं कि दिल्ली पुलिस के अफसर नहीं चाहते थे कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी के बीच देश की राजधानी में स्थिति विस्फोटक हो। इसी आशंका के चलते अफसर सख्त कार्रवाई से हिचकते रहे। हालांकि पुलिस अधिकारी कुछ भी बोल नहीं रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक घटना को लेकर दिनभर पुलिस मुख्यालय में आला अधिकारियों की बैठकें होती रही। आला अधिकारी, पूर्वी रेंज के पुलिस अधिकारियों से पल-पल की जानकारी लेकर उक्त सूचनाओं से गृह मंत्रालय को अवगत कराते रहे। लेकिन हिंसा पर तुरंत रोक कैसे लगाई जाए? इसको लेकर निर्णय नहीं ले सके। पुलिस के उक्त ढीले रवैये पर दिनभर सवाल उठते रहे। पुलिस के आला अधिकारियों का कहना था कि ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है जब उपद्रवियों के सामने पुलिस बेबस दिख रही है। अब से पहले ऐसा कभी देखने को नहीं मिला।

उधर, दिनभर उपद्रवियों के बीच बिना हथियार से जूझती पुलिस लाठी चार्ज व हवाई फायरिंग करने के लिए भी आदेश मिलने का इंतजार करती रही। पुलिस व पैरा मिलिट्री के जवानों में आला अधिकारियों के प्रति झुंझलाहट भी देखी गई। हिंसा की घटनाओं से निपटने के लिए लाठीचार्ज व हवाई फायरिंग करने का प्रावधान है।

यही नहीं हालात बिगड़ने पर पुलिस दंगाइयों के पैरों में गोली भी मार सकती है। लेकिन, उक्त सोमवार को उपद्रवियों ने जमकर तांडव किया, लेकिन पुलिस अधिकारियों को न तो लाठी चार्ज और न ही हवाई फायरिंग करने का आदेश मिला। यही नहीं बज्र वाहनों से आंसू गैस के गोले छोड़ने और वाटर केनन के भरपूर इस्तेमाल को लेकर भी पुलिस के कदम ठिठकते रहे। पुलिस अधिकारी खुद दबी जुबान बोल का कहना है कि अगर रविवार रात ही पुलिस सख्ती से पेश आती तब न तो सोमवार को पूरे जिले में हिंसा फैलती और न ही हवलदार की जान जाती।

उक्त घटना को लेकर सवाल उठ रहा है कि जामिया में पुलिस ने लाइब्रेरी में घुसकर उपद्रवियों के साथ अन्य की जमकर पिटाई कर दी थी लेकिन जब उत्तर-पूर्वी जिले में दो दिनों से उपद्रवी सरेआम उनके बीच मौजूद रहकर अवैध हथियार लहराते रहे और फायरिंग करते रहे। तब ऐसे उपद्रवियों को क्यों नहीं दबोचा गया? सोमवार को चांद बाग में सरेआम हवलदार रतन लाल की पत्थर मारकर हत्या कर दी गई, जबकि एक अन्य व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके बाद भी हथियार लहरा रहे असामाजिक तत्वों पर पुलिस ने सख्ती नहीं बरती, जिससे पुलिस के रवैये पर भी सवाल उठ रहे हैं।

पहले कफ्यरू की बात कही फिर पीछे हटे

रविवार रात से सोमवार देर शाम तक सरेआम हिंसक घटनाएं होती रहीं लेकिन पुलिस ने कर्फ्यू नहीं लगाया। एक हवलदार की मौत होने के बाद भी कर्फ्यू नहीं लगाने का तर्क खुद पुलिस को समझ में नहीं आ रहा है। उत्तर-पूर्वी जिला में इससे पहले जब भी सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं। हालात पर तुरंत काबू पाने के लिए कर्फ्यू लगाया गया था। लेकिन इस बार हवलदार की मौत होने पर भी पुलिस सख्ती के मूड में नहीं दिख रही है। सोमवार दोपहर पुलिस मुख्यालय से मौखिक तौर पर उत्तर-पूर्वी जिला के दस थाना क्षेत्रों में अनिश्चित काल के लिए कर्फ्यू लगाने की बात कही गई, लेकिन शाम होते-होते निर्णय बदल गया और केवल धारा 144 लगाने की बात कही गई। इस तरह की हर घटना में पुलिस की ओर से अधिकारिक बयान भी जारी किया जाता रहा है, लेकिन इस घटना को लेकर कोई अधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया।


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