मनीष सिसोदिया ने इशारों-इशारों में कसा भाजपा पर तंज, 'हम नाम बदलने में नहीं, तस्वीर बदलने में करते हैं विश्वास'
Business Blasters Programme शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को बिज़नेस ब्लास्टर्स प्रोग्राम लांच किया। इस मौके पर मनीष सिसोदिया ने इशारो-इशारों में भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि हम नाम बदलने में नहीं तस्वीर बदलने में विश्वास करते हैं।
नई दिल्ली [अरविंद कुमार द्विवेदी]। दिल्ली के डिप्टी सीएम और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को बिज़नेस ब्लास्टर्स प्रोग्राम लांच किया। यह प्रोग्राम 9वीं से 12वीं तक के बच्चों के लिए लांच किया गया है। इस मौके पर मनीष सिसोदिया ने कहा कि यह प्रोग्राम देश की प्रगति में मील का पत्थर साबित होगा।
सिसोदिया ने कहा कि हमें शुरू से पढ़ाया गया है कि भारत एक विकासशील देश है। अगर यह प्रोग्राम ठीक से लागू करें तो 15-20 साल बाद देश के बच्चों को पढाएंगे की भारत एक विकसित देश है। जल्द ही हमारे युवा नौकरिया मांगने की बजाय नौकरी देने वाले बनेंगे। नौकरिया हमारे युवाओं के पीछे भागेंगी।
बिना नाम लिए बोला भाजपा पर हमला
कार्यक्रम के दौरान इशारों-इशारों में भाजपा पर तंज कसते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि हम नाम बदलने में नहीं, तस्वीर बदलने में विश्वास करते हैं। दरअसल, उनका इशारा इस तरफ था कि किसी जगह या संस्थान का नाम बदलने से हकीकत नही बदलती। इसके लिए तस्वीर बदलने की जरुरत होती है।
अभी भारत कि पहचान बिना पढ़े लिखे युवाओं के देश के रूप में है। भारत पढ़े लिखे सक्षम युवाओं का देश बने, हम यह चाहते हैं। जितने बच्चे हम पढ़ा रहे हैं उतनी नौकरी नहीं हैं। इसलिए आज हमारे देश मे जॉब क्रिएटर्स तैयार करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि एक तरफ देश के 25 करोड़ लोगों के पास घर नहीं हैं। वहीं लाखों सिविल इंजीनियर डिग्री लेकर बेरोजगार घूम रहे हैं। देश में 17 करोड़ लोग भूखे सोते हैं। लेकिन देश के कृषि विश्वविद्यालय और फ़ूड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट से निकले लाखों बच्चे बेरोजगार घूम रहे हैं। आखिर इस शिक्षा पद्धति ने उन्हें सिखाया क्या?।
केमिस्ट्री में पीएचडी करके लोग बेरोजगार हैं और देश मे दवाओं की कमी है। यानी हमारे एजुकेशन सिस्टम में कमी है। यानी शिक्षा में बिज़नेस माइंडसेट नहीं दिया जाता है।
इससे पहले सोमवार को उपमुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे देश में लोग बेरोजगारी का समाधान राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर खोजते हैं कि ज्यादा से ज्यादा नौकरियां उपलब्ध करवाई जाएं। उन्होंने साझा किया कि स्कूलों में दौरे के दौरान वे जब बच्चों से उनके भविष्य के लिए पूछते है तो 99 फ़ीसद बच्चे बोलते हैं की वे पढ़ाई के बाद नौकरी करना चाहते हैं।