बीएसईएस ने सस्ती अक्षय ऊर्जा के लिए किया समझौता, दिल्लीवासियों को मिलेगा फायदा
हाइब्रिड ऊर्जा सौर व पवन ऊर्जा का मिश्रण है। इसके लिए सौर तथा पवन ऊर्जा के संयंत्र एक ही स्थान पर स्थापित किए जाते हैं। इन दोनों संयंत्रों से मिलने वाली बिजली एक साथ बीएसईएस के ग्रिड में पहुंचेगी।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। दिल्ली में बिजली वितरण करने वाली कंपनी बीएसईएस ने सोलर एनर्जी कारपोरेशन आफ इंडिया (सेकी) के साथ हुए समझौते से उसे लगभग ढाई रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से 510 मेगावाट अक्षय ऊर्जा मिलेगी। इसमें से तीन सौ मेगावाट सौर ऊर्जा और 210 मेगावाट हाइब्रिड उर्जा होगी। इससे दिल्ली में बिजली की दरें कम करने में मदद मिलेगी।
हाइब्रिड ऊर्जा किसे कहते हैं
हाइब्रिड ऊर्जा सौर व पवन ऊर्जा का मिश्रण है। इसके लिए सौर तथा पवन ऊर्जा के संयंत्र एक ही स्थान पर स्थापित किए जाते हैं। इन दोनों संयंत्रों से मिलने वाली बिजली एक साथ बीएसईएस के ग्रिड में पहुंचेगी। आमतौर पर अलग-अलग स्त्रोत से मिलने वाली बिजली को ग्रिड में ले जाने के लिए अलग-अलग तरह का विशेष नेटवर्क लगाना होता है। हाइब्रिड ऊर्जा एक ऐसी तकनीक है जिसमें सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा दोनों एक ही नेटवर्क से ग्रिड में चली जाएगी।
25 वर्षों के लिए समझौता
बीएसईएस ने सेकी से 25 वर्षों का समझौता किया है। लगभग डेढ़ साल बाद दिल्ली को सौर और हाइब्रिड ऊर्जा मिलने लगेगी। इसकी दर भी बहुत सस्ती होगी। सौर ऊर्जा मात्र 2.44 रुपये प्रति यूनिट और हाईब्रिड ऊर्जा 2.48 रुपये प्रति यूनिट की दर पर मिलेगी। वहीं, बीएसईएस को पुराने संयंत्रों से समझौते के तहत बिजली खरीद की औसत लगभग साढ़े पांच रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मिल रही है। कई पुराने संयंत्रों से इससे भी महंगी दर पर बिजली मिलती है इसलिए इन संयंत्रों से वह समझौता खत्म करना चाहती है।
हाइब्रिड बिजली लेने वाली दिल्ली की पहली कंपनी
इस समझौते के तहत बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड ( बीअरपीएल) को 320 मेगावाट (210 मेगावाट सौर ऊर्जा और 110 मेगावाट हाइब्रिड ऊर्जा) बिजली मिलेगी। वहीं, बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड (बीवाईपीएल) को 190 मेगावाट (90 मेगावाट सौर और एक सौ मेगावाट हाइब्रिड ऊर्जा होगी। हाइब्रिड खरीदने वाली दिल्ली की यह पहली कंपनी है।