बांग्लादेश वापस जाने पर लेखिका तस्लीमा नसरीन ने कहा भारत में रहना आसान, हमेशा मिला प्यार
बांग्लादेश वापस जाने पर लेखिका तस्लीमा नसरीन ने कहा कि जो लोग बांग्लादेश से उस समय छोड़ कर भारत में वापस आए, अगर वे चाहें तो वापस जा सकते हैं क्योंकि उन लोगों की यादें जुड़ी हुई हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। चर्चित व विवादित बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने कहा कि बांग्लादेश के बनिस्पत भारत में रहना आसान है। यहां पर कट्टरवादिता नहीं है। यहां मुझे हमेशा अपने देश ही की तरह लगा हैं और बहुत इज्जत-प्यार मिला। बोलीं, 'मैं चाहूं तो स्वीडन और अमेरिका में भी रह सकती हूं, क्योंकि मेरे पास वहां की नागरिकता है, मगर मैंने भारत को चुना।'
तसलीमा नसरीन के नए उपन्यास 'बेशरम' का लोकार्पण शनिवार को विश्व पुस्तक मेले में राजकमल प्रकाशन के स्टाल जलसाघर पर हुआ। इस मौके पर लेखिका अल्पना मिश्र, हिमांशु बाजपेयी और राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी मौजूद थे। लोकार्पण के बाद वरिष्ठ पत्रकार मनीषा पाण्डे ने लेखिका से विस्तार से बात की। बांग्लादेश वापस जाने के प्रश्न पर लेखिका ने कहा कि 'जो लोग बांग्लादेश से उस समय छोड़ कर भारत में वापस आए, अगर वे चाहें तो वापस जा सकते हैं क्योंकि उन लोगों की यादें वहां से जुड़ी हुई हैं।
मैं बांग्लादेश कभी वापस नहीं जा सकती, क्योंकि मैंने लज्जा जैसे उपन्यास लिखे हैं और मुझे देश छोड़ने को मजबूर किया गया था। जो कुछ भी बांग्लादेश में होता है उसके विरोध में मैं हमेशा लिखती हूं। न केवल हिन्दुओं पर बल्कि अन्य बांग्लादेशी अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचारों पर भी मैंने हमेशा आवाज उठाई है।'
कवि उदभ्रांत की दो कृतियों का लोकार्पण
हॉल नं. 12ए में अमन प्रकाशन के स्टाल पर वरिष्ठ कवि उदभ्रांत की दो महत्वपूर्ण कृतियों महाकाव्य राधामाधव और खंड काव्य स्वयंप्रभा का लोकार्पण किया गया। लोकार्पण भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक मधुसूदन आनंद और वरिष्ठ लेखक असगर वजाहत ने किया। उन्होंने कहा कि दोनों कृतियां हिन्दी साहित्य जगत में अहम स्थान रखती हैं।
11वीं और 12वीं के मॉडल पेपर का लोकार्पण
हॉल नं. सात में शैक्षिक प्रकाशक एमबीडी ग्रुप के स्टाल पर कक्षा 11वीं और 12वीं के लिए भौतिकी के मॉडल पेपर एबीसी प्लस का विमोचन हुआ। इस अवसर पर ग्रुप की निदेशक मानिका मल्होत्रा कंधारी ने बताया कि भौतिकी एबीसी के बाद भौतिकी प्लस की शुरुआत की है। मॉडल पेपर छात्रों के लिए सहायक साबित होंगे। इस दौरान बिजनेस हेड प्रवीण ¨सह भी मौजूद रहे।
कविता संग्रह का लोकार्पण
हॉल नं. 12 में वाणी प्रकाशन के स्टाल पर लेखिका व कवयित्री आभा बोधिसत्व के नए कविता संग्रह 'सीता नहीं मैं' का लोकार्पण व चर्चा का आयोजन हुआ। इस किताब में महानगरीय जीवन का संत्रास, आवेग, ताप और हस्तक्षेप है। स्त्री-विमर्श को केन्द्र में रखकर यह कृति मिथक से आधुनिक जीवन तक अपनी दृष्टि को विकास देती है। हॉल नं 12 में एपीएन पब्लिकेशन के स्टाल पर लेखिका निवेदिता दिनकर के काव्य संग्रह इत्र तुम्हारी शर्ट का, कल्पना पांडेय के काव्य संग्रह एट कल्पना लाइव, रतन वर्मा द्वारा लिखित उपन्यास चांदनी रात की गजल एवं दिलीप तेतरवे के व्यंग्य संग्रह किस्सागो लोकार्पण किया गया।
इस समारोह में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के संपादक लालित्य ललित, लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, बलदेव त्रिपाठी और पब्लिकेशंस के निदेशक निर्भय कुमार मौजूद थे। डॉ. रश्मि बजाज के काव्य संकलन 'जुर्रत ख्याब देखने की' (अयन प्रकाशन द्वारा प्रकाशित) को लोकार्पण हॉल नं. 12 में हुआ। चर्चित कवयित्री रश्मि बजाज का यह पांचवां काव्य-संकलन है और विचार व भाव के स्तर पर उद्वेलित करने वाला एक लीक से हट कर लिखा गया काव्य-संग्रह है। 'भाषा की खादी' और 'स्वेतिमा' पुस्तक का लोकार्पण प्रभात प्रकाशन के स्टाल पर लेखिका श्वेता परमार की पुस्तक स्वेतिमा और लेखक ओम निश्चल की पुस्तक भाषा की खादी का लोकार्पण किया गया।
दोनों पुस्तकों का लोकार्पण प्रसिद्ध कवि और लेखक प्रो. अशोक चक्रधर ने किया। लोकार्पण की अध्यक्षता केंद्रीय ¨हदी संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ. कमल किशोर गोयनका ने की। 'एकरंगा' और 'लाल अंधेरा' पुस्तक का लोकार्पण यश पब्लिकेशंस के स्टाल पर वरिष्ठ लेखक राजीव रंजन प्रसाद के उपन्यास 'लाल अंधेरा' का विमोचन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष कमल किशोर गोयनका ने की। मुख्य अतिथि के रूप में कवि प्रो. अशोक चक्रधर मौजूद रहे। इसके अलावा अवनिजेस अवस्थी, हितेश शंकर आदि मौजूद रहे। हॉल न. 8 में गुल्लीबाबा के स्टाल पर लेखक रिडवाना सनम द्वारा लिखित 'अपनी पीड़ा को कैसे लिखें', डॉ. रमेश कुमार व आचार्य योगेष कुमार की 'योग' हिन्दी व अंग्रेजी, डॉ. अजय कुमार, दिनेश वर्मा की 'डायबिटीज जाएं भूल, रहें कूल' और डॉ. रुपिंदर डोगरा की 'प्रिज्म ऑफ लाइफ' जैसी पुस्तकों का विमोचन किया गया। इस अवसर पर गुल्लीबाबा के सीईओ दिनेश वर्मा, लेखक डॉ. रमेश कुमार, आचार्य योगेश कुमार, रिडवाना सनम एवं डॉ. रुपिंदर डोगरा सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।