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Black Fungus Alert : चिकित्सीय परामर्श के बिना स्टेरायड का सेवन ब्लैक फंगस का बढ़ा रहा खतरा

कोरोना संक्रमण की इलाज प्रक्रिया के दौरान स्टेरायड का अधिक मात्रा में सेवन शरीर में शुगर के स्तर को बढ़ा देता है। ऐसे में जो मरीज पहले से मधुमेह के मरीज है उनके लिए यह खतरे की घंटी है। कैंसर के इलाज में भी स्टेरायड का काफी प्रयोग होता है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 22 May 2021 05:49 PM (IST)Updated: Sat, 22 May 2021 05:49 PM (IST)
मणिपाल अस्पताल में 14 और वेंकटेश्वर अस्पताल में 15 मरीज भर्ती

नई दिल्ली [मनीषा गर्ग]।  कोरोना संक्रमण के बाद अब म्यूकरमाइकोसिस "ब्लैक फंगस' नामक संक्रमण ने लोगों के जीवन पर संकट को बढ़ा दिया है। हालांकि, कोरोना की तरह म्यूकरमाइकोसिस फंगल संक्रमण कोई नया नहीं है और समय पर संक्रमण का पता चल जाए तो इसका इलाज संभव है। मणिपाल अस्पताल में आंख, नाक व गला (ईएनटी) रोग विशेषज्ञ डा. आशीष वरिष्ठ बताते हैं कि अभी अस्पताल में म्यूकरमाइकोसिस के 14 मरीज भर्ती हैं, जबकि शनिवार को एक मरीज स्वस्थ होकर घर लौट चुका है। देर से चिकित्सक के संपर्क में आने के कारण कुछ मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई है, जबकि कुछ मरीजों में यह ब्लैक फंगस दिमाग तक पहुंच गया है। असल में कोरोना संक्रमण की इलाज प्रक्रिया के दौरान स्टेरायड का अधिक मात्रा में सेवन शरीर में शुगर के स्तर को बढ़ा देता है। ऐसे में जो मरीज पहले से मधुमेह के मरीज है, उनके लिए यह खतरे की घंटी है। न सिर्फ कोरोना बल्कि कैंसर के इलाज में भी स्टेरायड का काफी प्रयोग होता है। पर बीते दिनों संक्रमण दर बढ़ने के कारण ब्लैक फंगस के मामलों में एकाएक उछाल देखने को मिला है। शरीर में बढ़ा शुगर स्तर व कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता म्यूकरमाइकोसिस के प्रमुख कारण है।

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डा. आशीष बताते हैं कि म्यूकरमाइकोसिस फंगस हर जगह मौजूद है, जैसे नाक में, वातावरण में आदि। यह सांस के माध्यम से शरीर में जाता है, लेकिन सामान्य आदमी पर इसका कोई असर नहीं होता। पर कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्ति आसानी से इसकी चपेट में आ जाते है। नाक से शुरू होकर यह आंखों व दिमाग तक पहुंचता है। हालांकि राहत की बात यह है कि एक से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। असल में इसका नाम ब्लैक फंगस नहीं है, काले रंग का फंगस होने के कारण इसका नाम ब्लैक फंगस चर्चित हो गया है।

उचित समय पर चिकित्सीय संपर्क में आने के बाद दवाओं व सर्जरी की मदद से म्यूकरमाइकोसिस को मात दी जा सकती है। जहां तक उम्र की बात है अस्पताल में भर्ती सभी मरीजों की उम्र 50 से अधिक है, हालांकि ये किसी भी उम्र के लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है। कोरोना संक्रमण से स्वस्थ होने के 15 से 30 दिन के भीतर म्यूकरमाइकोसिस की शिकायत सामने आ रही है।

वेंकटेश्वर अस्पताल में ईएनटी विशेषज्ञ डा. यतिन सेठी बताते हैं कि बीते दिनों म्यूकरमाइकोसिस से ग्रस्त 15 मरीजों की सर्जरी की गई है। जबकि एक महिला मरीज के देर से चिकित्सीय संपर्क में आने के कारण मृत्यु हो चुकी है। सभी मधुमेह के मरीज है। चेहरे के एक तरफ दर्द व सूजन की शिकायत के साथ ये मरीज ओपीडी में चिकित्सीय परामर्श के लिए आए थे। नाक की एंडोस्कोपी के बाद इनमें म्यूकरमाइकोसिस की पुष्टि हुई है। फिलहाल स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिए गए दिशानिर्देश के अनुसार मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इस लिहाज में एक से तीन माह का समय लगता है और सर्जरी व दवाओं का इसमें 50-50 फीसद का याेगदान है। साथ ही शुगर स्तर को नियंत्रित किए बगैर म्यूकरमाइकोसिस का इलाज संभव नहीं है, इसलिए उस पर भी ध्यान दिया जा रहा है। असल में चिकित्सीय सुझाव के स्टेरायड के सेवन के कारण म्यूकरमाइकोसिस का खतरा कई गुना बढ़ गया है। यहीं कारण है कि विदेशों में म्यूकरमाइकोसिस का खतरा दर्ज नहीं किया गया है।


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