'संवैधानिक संस्थाओं पर प्रहार कर रही है AAP सरकार, दबाई गई विपक्ष की आवाज'
सरकार ने विपक्ष की आवाज दबाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी और ज्वलंत समस्याओं पर चर्चा की मांग करने पर उन्हें मार्शलों द्वारा सदन से पांच बार बाहर निकाला गया।
नई दिल्ली [जेएनएन]। दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि विधानसभा का बजट सत्र न सिर्फ अब तक का सबसे लंबा रहा, बल्कि सत्ता पक्ष के अमर्यादित व्यवहार के लिए भी याद किया जाएगा। इस सत्र में लोकतात्रिक मूल्यों व लोकतंत्र के स्तंभों पर प्रहार किया गया और प्रेस की आवाज को दबाने की कोशिश की गई। दूसरी ओर, सरकार जनहित के मुद्दों पर अपनी जिम्मेदारी से भागती रही। वह प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे।
प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रहार किया गया
भाजपा नेता ने कहा कि सत्तारूढ़ दल ने संवैधानिक संस्थाओं और संवैधानिक पदों पर बैठे हुए लोगों पर अमर्यादित प्रहार किए। उपराज्यपाल कार्यालय के खिलाफ एकतरफा आउटकम रिपोर्ट पेश की गई। वहीं, दैनिक जागरण के विरुद्ध प्रस्ताव लाकर प्रेस की स्वतंत्रता पर जमकर प्रहार किया गया। देश के इतिहास में पहली बार किसी राज्य में अखबार का मामला विशेषाधिकार समिति को सौंपा गया है। भाजपा इस पर चुप नहीं बैठेगी। वह इस मुद्दे को संबंधित संवैधानिक संस्था के सामने उठाएगी।
विपक्ष की आवाज दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी
सरकार ने विपक्ष की आवाज दबाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी और ज्वलंत समस्याओं पर चर्चा की मांग करने पर उन्हें मार्शलों द्वारा सदन से पांच बार बाहर निकाला गया। लोकहित के मुद्दों पर अपनी बात रखने की अनुमति नहीं देने के विरोध में विपक्ष के विधायकों को 8 बार सदन का बहिष्कार करना पड़ा। सत्ता पक्ष के दमनकारी रवैये के बावजूद भी विपक्ष सार्वजनिक हित के 225 मामले उठाने में सफल रहा।
विपक्ष ने तमाम मुद्दे उठाए
विपक्ष ने पानी की कमी, सीवर व्यवस्था ठप्प होने, प्रदूषण रोकने में असफल होने, झुग्गी-झोपड़ी बस्तियों को सुविधाएं न मिलने और राशन वितरण में अनियमितता, यौन-उत्पीड़न और शोषण की शिकार महिलाओं के लिए वन-स्टॉप सेंटर न बनाने, मंत्रियों तथा विधायकों के विदेशी दौरों पर हुए खर्च का मुद्दा उठाया।
मुख्यमंत्री तो सदन में कभी-कभार ही नजर आए
उन्होंने कहा कि लोकहित के मामलों पर सरकार की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह एक भी बिल सदन में लाने में असफल रही। सरकार बजट पर सार्थक बहस कराने से भी बचती रही। मुख्यमंत्री तो सदन में कभी-कभार ही नजर आए, मंत्री व विधायक भी गायब रहते थे। कोरम पूरा नहीं होने के कारण रोजाना सदन की कार्यवाही देर से शुरू होती थी। सदस्यों की उपस्थिति की जांच होनी चाहिए और अनुपस्थित रहने वाले सदस्यों को वेतन-भत्ते नहीं मिलना चाहिए। विधायक ओम प्रकाश शर्मा ने विधानसभा अध्यक्ष पर सत्ता पक्ष का साथ देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वह सरकार की तरह व्यवहार कर रहे हैं, विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है।
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