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नगर निगमों की बदहाली दूर करने को बिधूड़ी ने लिखा शाह को पत्र, दिल्ली सरकार पर लगाए आरोप

दिल्ली सरकार को वर्ष 2020 में पांचवें वित्त आयोग का गठन करना था लेकिन अभी तक यह नहीं हुआ है। इससे निगमों को न्यायसंगत तरीके से फंड नहीं मिल रहा है। दिल्ली सरकार को मिलने वाले करों में नगर निगमों की हिस्सेदारी का अनुपात वित्त आयोग ही तय करता है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 28 Oct 2021 05:08 PM (IST)Updated: Thu, 28 Oct 2021 05:08 PM (IST)
नगर निगमों की बदहाली दूर करने को बिधूड़ी ने लिखा शाह को पत्र, दिल्ली सरकार पर लगाए आरोप
राजनीतिक लाभ के लिए निगमों को आर्थिक रूप से पंगु बनाने का आरोप

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने दिल्ली सरकार पर संवैधानिक दायित्वों की अनदेखी का आरोप लगाया है। दिल्ली सरकार को वर्ष 2020 में पांचवें वित्त आयोग का गठन करना था लेकिन अभी तक यह नहीं हुआ है। इससे निगमों को न्यायसंगत तरीके से फंड नहीं मिल रहा है।

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वित्त आयोग ही तय करता है करों में निगम की हिस्सेदारी का अनुपात

दिल्ली सरकार को मिलने वाले करों में नगर निगमों की हिस्सेदारी का अनुपात वित्त आयोग ही तय करता है। सरकार जानबूझकर इसका गठन नहीं कर रहा है जिससे कि भाजपा शासित निगमों को आर्थिक रूप से बदहाल किया जा सके। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर दिल्ली के तीनों नगर निगमों को आर्थिक संकट से निकालने के लिए वैकल्पिक कदम उठाने का अनुरोध किया है।

2020 में होना चाहिए था राज्य वित्त आयोग का गठन

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार का यह दायित्व है कि प्रत्येक पांच साल में राज्य वित्त आयोग का गठन करे। दिल्ली में वर्ष 2016 में चौथे वित्त आयोग का गठन किया गया था जिसने वर्ष 2018 में अपनी रिपोर्ट दे दी थी। पांचवां वित्त आयोग 2020 में गठित हो जाना चाहिए था जिससे कि अप्रैल 2021 से मार्च 2026 तक की अवधि के लिए उसकी सिफारिशों को लागू किया जाए।

दिल्ली सरकार पर लगा राजनीतिक फायदा उठाने का आरोप

गृहमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि दिल्ली सरकार राजनीतिक लाभ उठाने के लिए नगर निगमों को आर्थिक रूप से बदहाल करने में लगी हुई है। इसे ध्यान में रखकर पांचवें वित्त आयोग के गठन के लिए केंद्र सरकार को उपराज्यपाल को निर्देश जारी करना चाहिए। दिल्ली सरकार की भेदभाव की राजनीति को देखते हुए वैकल्पिक उपाय करने की जरूरत है जिससे कि नगर निगमों को केंद्र सरकार से सीधे आर्थिक मदद मिल सके। नगर निगमों के विभाजन से पूर्व केंद्र ही दिल्ली नगर निगमों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करता था।


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