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भाजपा ने बस खरीद में घोटाले का लगाया आरोप, उपराज्यपाल को पत्र लिख कर की जांच की मांग

आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार दो कंपनियों से एक हजार लो फ्लोर बसें खरीद रही है। इस खरीद में कोई पारदर्शिता नहीं है। इस संबंध में डीटीसी और दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री के बयान भी अलग-अलग आते रहे हैं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 10 Jun 2021 04:33 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 04:33 PM (IST)
भाजपा ने बस खरीद में घोटाले का लगाया आरोप, उपराज्यपाल को पत्र लिख कर की जांच की मांग
आदेश गुप्ता -कहा, दिल्ली पुलिस की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा से होनी चाहिए इसकी जांच

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। दिल्ली में बसों की कमी से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना से बचाव के लिए बसों में 50 फीसद यात्रियों को बैठाने की अनुमति है जिससे परेशानी और बढ़ गई है। वहीं, दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के बेड़े में एक हजार लो फ्लोर बसों को शामिल करने का प्रस्ताव भी विवादों में आ गया है। भाजपा ने बस खरीद में घाटाले का आरोप लगाया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने उपराज्यपाल को पत्र लिखकर इसकी जांच दिल्ली पुलिस की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा से कराने की मांग की है।

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दो कंपनियों से हो रही लो फ्लोर बसें खरीद

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार दो कंपनियों से एक हजार लो फ्लोर बसें खरीद रही है। इस खरीद में कोई पारदर्शिता नहीं है। इस संबंध में डीटीसी और दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री के बयान भी अलग-अलग आते रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस खरीद में बड़े घोटाले की आशंका है जिसे देखते हुए इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन कंपनियों से बसें खरीदने का करार किया गया है उनसे इनकी देखभाल के लिए अलग से एक और अनुबंध किया गया है। विशेष बात यह है कि वारंटी के दौरान बसों की देखभाल के लिए करोड़ों रुपये का समझौता किया गया है।

जांच की मांग

उन्होंने कहा कि पहले बस खरीदने का टेंडर किया गया है। अलग से एक और समझौता कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि बसों की खरीद पर 875 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इसके साथ ही तीन वर्षों के लिए बसों की देखभाल के लिए तीन वर्षों में 35 सौ करोड़ रुपये खर्च करने का अनुबंध कर लिया गया है। यह अपने आप में एक बड़े घोटाले का सुबूत है। सभी जानते हैं कि वारंटी के समय किसी सामान के लिए कंपनी को अतिरिक्त पैसे नहीं देने होते हैं। इसके विपरीत दिल्ली सरकार 35 सौ करोड़ रुपये खर्च कर रही है। इसकी जांच जरूरी है।


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