Move to Jagran APP

Delhi News: दिल्ली में प्रदूषित हवा सुधार रहे बायोडायवर्सिटी पार्क, जीव-जंतुओं के साथ हरियाली को भी मिल रहा बढ़ावा

राजधानी दिल्ली में करीब 3000 एकड़ में फैले इन पार्कों से हर साल ढाई लाख छात्र व्यावहारिक पर्यावरण शिक्षा प्राप्त करते हैं। इन पार्कों के विकसित होने के बाद से स्थलीय-जलीय पौधों चिड़ियों की संख्या भी बढ़ी है।

By Pradeep ChauhanEdited By: Published: Sun, 22 May 2022 07:58 AM (IST)Updated: Sun, 22 May 2022 07:58 AM (IST)
Delhi News:  दिल्ली में प्रदूषित हवा सुधार रहे बायोडायवर्सिटी पार्क, जीव-जंतुओं के साथ हरियाली को भी मिल रहा बढ़ावा
प्रदूषित हवा सुधार रहे बायोडायवर्सिटी पार्क, गिरता भूजल भी कर रहे रिचार्ज।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के सातों बायोडायवर्सिटी पार्क लगातार राजधानी की आबोहवा में सुधार कर रहे हैं। इनकी वजह से यहां जीव जंतुओं के अलावा हरित क्षेत्र में भी वृद्धि हुई है और भूजल स्तर में भी वृद्धि देखने को मिली है। खास बात यह कि इन पार्कों के जरिये बड़ी मात्र में वर्षा का जल भी बचाया जा रहा है। दिल्ली में बायोडायवर्सिटी पार्क का कारवां सन 2002 में तत्कालीन डीडीए उपाध्यक्ष और निवर्तमान उपराज्यपाल अनिल बैजल और दिल्ली विश्वविद्यालय के तत्कालीन समकुलपति प्रो. सी आर बाबू के प्रयासों से हुआ था। पहला पार्क यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क के नाम से शुरू हुआ।

loksabha election banner

इसके बाद 2005 में अरावली, 2015 में तिलपथ वैली और कमला नेहरू रिज, 2016 में नीला हौज और तुगलकाबाद और 2019 में कालिंदी बायोडायवर्सिटी पार्क की शुरुआत हुई। बंजर और बहुत ही डिग्रेडिड लैंडस्कैप से शुरू हुए ये पार्क पर्याप्त संख्या में वनस्पतियों और जीवों को आश्रय देते हैं। 2016 में यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क में एक तेंदुआ भी देखा गया था। वहीं अरावली जैव विविधता पार्क में भारतीय पित्त और काली चील जैसे कई पक्षी लंबे समय के दौरान देखे गए हैं। अरुणा आसफ अली मार्ग पर स्थित नीला हौज पार्क में ऐतिहासिक झील, जो मलबे और सीवेज के कारण बेकार हो गई थी, उसे वैटलैंड के माध्यम से पुनर्जीवित किया गया।

असाध्य रोगों का इलाज करने में भी मददगार हैं पौधे

इन बायोडायवर्सिटी पार्कों ने न केवल प्रदूषित हवा को शुद्ध करने में मदद की, बल्कि भूजल को भी रिचार्ज किया और लाखों गैलन पानी इकट्ठा करने में मदद की। डीडीए अधिकारियों के अनुसार सभी पार्कों द्वारा 2021 में एकत्रित वर्षा जल 1.4 मिलियन गैलन है। वेटलैंड में 1,100 मिलियन गैलन मानसून का और खादर क्षेत्र में संग्रहित 500 मिलियन गैलन बाढ़ का पानी है। करीब 3,000 एकड़ में फैले इन पार्कों से हर साल ढाई लाख छात्र व्यावहारिक पर्यावरण शिक्षा प्राप्त करते हैं। इन पार्कों के विकसित होने के बाद से स्थलीय-जलीय पौधों, चिड़ियों की संख्या भी बढ़ी है। यहां लगे दो हजार से ज्यादा प्रजाति वाले औषधीय पौधे असाध्य रोगों का इलाज करने में भी मददगार हैं।

बायोडायवर्सिटी सोसायटी व दिल्ली बायोडायवर्सिटी काउंसिल गठित

2019 में उपराज्यपाल ने बायोडायवर्सिटी सोसायटी का गठन किया था, जबकि एक नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार ने 11 सदस्यीय दिल्ली बायोडायवर्सिटी काउंसिल की अधिसूचना जारी की थी। जल्द ही लोक जैव विविधता पंजी (पीपुल बायोडायवर्सिटी रजिस्टर-पीबीए) बनाने का काम शुरू होगा।

  • बायोडायवर्सिटी पार्को ने न केवल दुनिया भर के शहरी क्षेत्रों से लुप्त होती प्राकृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए माडल के रूप में वैश्विक महत्व ग्रहण किया है, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला भी प्रदान की है। शहरों में पानी की उपलब्धता और सांस्कृतिक और संरक्षणात्मक गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया है। ये पार्क छात्रों और लोगों के बीच पर्यावरण शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रतीक और प्रमुख केंद्र भी बन गए हैं। फैयाज ओ खुदसर, प्रभारी, यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.