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Delhi News: बिहार के एक युवक ने निभाया राखी का फर्ज, बहन को दान की किडनी

बिहार के एक युवा ने इस त्योहार पर जिंदगी से जंग लड़ रही अपनी बहन को तोहफे में किडनी दान देकर नई मिसाल कायम की है। यह संकल्प भाई ने सफदरजंग अस्पताल में किडनी दान कर हाल ही में पूरा किया है। आपरेशन के बाद भाई-बहन दोनों ही स्वस्थ हैं।

By Jp YadavEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 08:11 AM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 08:11 AM (IST)
Delhi News: बिहार के एक युवक ने निभाया राखी का फर्ज, बहन को दान की किडनी

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। रक्षाबंधन को लेकर रानी कर्णवती द्वारा हुमायूं से मदद मांगने सहित कई कहानियां प्रचलित हैं। आज भी इस पर्व पर हर भाई अपनी बहन की रक्षा का संकल्प लेता है, लेकिन बिहार के एक युवा ने इस त्योहार पर जिंदगी से जंग लड़ रही अपनी बहन को तोहफे में किडनी दान देकर नई मिसाल कायम की है। यह संकल्प भाई ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में किडनी दान कर हाल ही में पूरा किया है। आपरेशन के बाद भाई-बहन दोनों ही स्वस्थ हैं।

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अस्पताल में यूरोलाजी विभाग के अध्यक्ष डा. अनूप गुप्ता ने बताया कि बिहार निवासी 30 वर्षीय महिला रक्षाबंधन से पहले अस्पताल में भर्ती हुई थी। महिला की किडनी खराब थी। कोरोना काल में डेढ़ साल से अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण बंद था। ऐसे में डोनर का इंतजाम करना भी कठिन था। इसी बीच रक्षाबंधन पर भावुक हुई बहन से 40 वर्षीय भाई ने वादा किया कि वह अपनी किडनी दान करके उनकी जान बचाएंगे। इसके बाद उनकी कई जांचें हुई और पिछले दिनों उनकी किडनी बहन को प्रत्यारोपित कर दी गई। बृहस्पतिवार को उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी मिल जाएगी। वहीं उनकी बहन को कुछ दिन और अस्पताल में रहना पड़ेगा। डाक्टर अनूप ने बताया कि महिला की किडनी खराब होने का कोई स्पष्ट कारण पता नहीं चला है। कई मामलों में आनुवांशिक कारण की वजह से भी किडनी खराब हो जाती है। इस मामले में भी ऐसा हो सकता है।

सफदरजंग में डेढ़ साल बाद हुआ पहला किडनी प्रत्यारोपण

डा. अनूप गुप्ता ने बताया कि पिछले साल मार्च में कोरोना संक्रमण के मामले आने पर अप्रैल की शुरूआत में ही अस्पताल में अन्य बीमारियों का इलाज बंद कर दिया गया था। अस्पताल के सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक को कोविड अस्पताल बना दिया गया था। इसी ब्लाक में यूरोलाजी विभाग भी स्थित है। यहां भी कोरोना मरीजों का इलाज हो रहा था। उसके बाद से डेढ़ साल में यह पहला किडनी प्रत्यारोपण है। डा गुप्ता ने बताया कि कोरोना संकट से पहले अस्पताल में प्रतिवर्ष 20 किडनी प्रत्यारोपण होते थे। कोरोना महामारी ने इस पर रोक लगा दी थी। अब एक बार फिर से शुरुआत हुई है।


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