DUSU result 2018: दिल्ली में AAP के लिए खतरे की घंटी, अब युवाओं ने भी नकारा
पंजाब, कर्नाटक, गोवा और दिल्ली नगर निगम चुनाव में शिकस्त के बाद अब दिल्ली के युवाओं ने भी डूसू चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) को नकार दिया है।
नई दिल्ली (संजीव गुप्ता)। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) चुनाव के नतीजे आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं हैं। पंजाब, कर्नाटक, गोवा और दिल्ली नगर निगम चुनाव में शिकस्त के बाद अब दिल्ली के युवाओं ने भी पार्टी को नकार दिया है। आलम यह रहा कि मतगणना के किसी राउंड में एक बार भी AAP की छात्र इकाई सीवाईएसएस (छात्र युवा संघर्ष समिति) के उम्मीदवार अपनी बढ़त नहीं बना सके। यहां तक कि आइसा (अखिल भारतीय छात्र संघ) के साथ गठबंधन भी पार्टी की इज्जत नहीं बचा पाया। यह नतीजे पार्टी को सोचने पर विवश करते हैं।
AAP का आत्मविश्वास हालांकि पहले से ही गड़बड़ा रहा था, इसीलिए सीवाइएसएस ने इस बार गठबंधन की राह पकड़ ली थी। विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र की तरह डूसू चुनाव का घोषणा पत्र भी खासा हवा-हवाई बनाया गया था। उम्मीदवारों के समर्थन और उनके चुनाव प्रचार में कैबिनेट मंत्री गोपाल राय, पूर्वी दिल्ली लोकसभा से आप प्रत्याशी आतिशी मरलेना, विधायक अलका लांबा और संजीव झा ने भी पूरी ताकत लगाई, लेकिन किसी काम नहीं आई।
सीवाईएसएस ने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद आइसा को दे दिया था, जबकि सचिव और संयुक्त सचिव पद पर अपने प्रत्याशी खड़े किए थे। बावजूद इसके इस बार सीवाईएसएस उतने वोट भी नहीं पा सकी, जितने उसने 2015 में बिना किसी गठबंधन अकेले चुनाव लडऩे पर पा लिए थे।
आंकड़ों के मुताबिक 2015 में अध्यक्ष पद पर सीवाईएसएस प्रत्याशी को 8,375, उपाध्यक्ष प्रत्याशी को 12,101, सचिव प्रत्याशी को 7,156 और संयुक्त सचिव प्रत्याशी को 8,205 वोट मिले थे। जबकि इस साल गठबंधन करने के बावजूद सीवाइएसएस और आइसा के संयुक्त अध्यक्ष पद प्रत्याशी को 8,019, उपाध्यक्ष प्रत्याशी को 7,335, सचिव प्रत्याशी को 4,582 और संयुक्त सचिव प्रत्याशी को 9,199 वोट हासिल हुए हैं।
कांग्रेस छात्रसंघ चुनाव में भी पिछड़ी
अध्यक्ष पद गंवाकर कांग्रेस की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआइ) पिछले चुनाव में दो पदों पर जीती थी, जो इस बार मात्र एक पर सिमट गई है। एनएसयूआइ की यह हार कांंग्रेस के घटते जनाधार और एक के बाद एक होती पराजय से इतर नहीं है। दिल्ली में पार्टी पिछले दो विधानसभा चुनावों के साथ ही नगर निगम चुनाव में भी बुरी तरह पराजित हुई है। अब छात्रसंघ चुनाव में भी उसकी छात्र इकाई की हार आगामी लोकसभा चुनाव के लिए तैयारी कर रही पार्टी के लिए नई चुनौती लेकर आई है।
अजय माकन (अध्यक्ष, प्रदेश कांग्रेस) का कहना है कि हम अध्यक्ष और सचिव दोनों पदों पर चुनाव जीत रहे थे, लेकिन जब यह जीत करीब-करीब तय होने लगी थी तो अचानक ईवीएम में खराबी बता दी गई। जिन तीन सीटों पर एबीवीपी के उम्मीदवार विजयी घोषित किए गए हैं, उन पर भी एनएसयूआइ को मिले मतों से उन्हें कोई बहुत अधिक मत नहीं मिले हैं, इसलिए हमारी मांग है कि बैलेट पेपर के साथ दोबारा चुनाव कराया जाए।
डीयू प्रशासन को हमने नहीं दी ईवीएम
मनोज कुमार, चुनाव अधिकारी (ईवीएम), दिल्ली के मुताबिक, दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने जिन ईवीएम के साथ छात्रसंघ चुनाव कराया है, वह मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय, दिल्ली से नहीं दी गई है। सभी ईवीएम डीयू प्रशासन ने निजी तौर पर मंगाई है। इस विषय में बाद में विस्तृत रिपोर्ट भी दी जाएगी।