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Google के जरिए कारगिल के सैन्य अधिकारियों से करोड़ों ठगे, UP पुलिस का बड़ा खुलासा

आरोपी, कारगिल युद्ध में लड़ाई लड़ने वाले सेवानिवृत्त आर्मी अधिकारियों के लिये केंद्र सरकार की तरफ से संचालित विभिन्न योजनाओं में लाखों का लाभ दिलाने का झांसा देते थे।

By Amit SinghEdited By: Published: Thu, 11 Oct 2018 10:04 AM (IST)Updated: Thu, 11 Oct 2018 10:55 AM (IST)
Google के जरिए कारगिल के सैन्य अधिकारियों से करोड़ों ठगे, UP पुलिस का बड़ा खुलासा
Google के जरिए कारगिल के सैन्य अधिकारियों से करोड़ों ठगे, UP पुलिस का बड़ा खुलासा

नोएडा (जेएनएन)। कारगिल युद्ध में अपनी जांबाजी से दुश्मन के दांत खट्टे करने वाले आर्मी के सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारियों से 10वीं पास व्यक्ति लाखों रुपये की ठगी कर रहा था। आरोपित विश्वजीत आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस और सीनियर सिटीजन इंश्योरेंस का लाभ दिलाने का झांसा देकर ठगी की इस वारदात को अंजाम दे रहा था।

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आरोपित 10 अन्य साथियों के साथ गैंग बनाकर 2014 से अब तक देश के विभिन्न राज्यों में रहने वाले सैकड़ों सेवानिवृत्त आर्मी अधिकारियों से करोड़ों की ठगी कर चुका है। सेक्टर 17 में रहने वाले सेवानिवृत्त मेजर जनरल केके सहगल समेत ठगी के शिकार तीन आर्मी अधिकारियों ने साइबर क्राइम सेल और सेक्टर 20 कोतवाली पुलिस से करीब 40 लाख की ठगी की शिकायत की थी। इसके बाद जांच में जुटी साइबर क्राइम सेल ने मंगलवार रात दबिश देकर ग्रेटर नोएडा वेस्ट की एक सोसायटी से 11 आरोपितों को गिरफ्तार कर धोखाधड़ी के इस खेल का पर्दाफाश किया है।

एसएसपी डॉ. अजय पाल शर्मा ने बताया कि गैंग का लीडर विश्वजीत मिदनापुर पश्चिमी बंगाल का रहने वाला है। इसके अलावा, गैंग में दूसरे नंबर पर वसुंधरा दिल्ली का रहने वाला पवन कुमार है। अन्य आरोपितों की पहचान गाजियाबाद के रहने वाले प्रशांत कुमार, आजमगढ़ निवासी प्रमोद यादव, मुगलसराय निवासी पीयूष तिवारी, संभल निवासी संदीप कुमार, गया बिहार निवासी अभिषेक कुमार, नोएडा सेक्टर 55 निवासी कामिल, नरेला दिल्ली निवासी सचिन तोमर, नैनीताल उत्तराखंड निवासी मृदुल रावत और एटा निवासी धर्मेंद्र के रूप में हुई है।

सभी आरोपित ग्रेटर नोएडा वेस्ट में रह रहे थे। आरोपितों से 3.39 लाख नकद, 50 एटीएम, 36 मोबाइल, 11 आधार 7 पैन कार्ड, एक पासपोर्ट, 3 बैंक पासबुक और 5 डीएल बरामद हुआ है। आरोपी, कारगिल युद्ध में लड़ाई लड़ने वाले सेवानिवृत्त आर्मी अधिकारियों के लिये केंद्र सरकार की तरफ से संचालित विभिन्न योजनाओं में लाखों का लाभ दिलाने का झांसा देते थे। आरोपित इन अधिकारियों का मोबाइल नंबर गूगल से प्राप्त करते थे। जांच में पता चला है कि इनके पास करीब एक हजार आर्मी अधिकारियों के मोबाइल नंबर हैं।


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