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EXCLUSIVE: Delhi की सिख राजनीति में होगा बड़ा बदलाव, राजधानी में सरना के हाथ होगी शिअद बादल की कमान

2013 के चुनाव में शिअद बादल ने सरना की पार्टी को हराकर डीएसजीएमसी की सेवा हासिल की थी। दोनों ही पार्टियां एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते थे। एक दूसरे खिलाफ कानूनी लड़ाई भी लड़ी लेकिन बदली हुई राजनीतिक परिस्थिति में एकता की ओर कदम बढ़ने लगे हैं।

By Santosh Kumar SinghEdited By: Prateek KumarPublished: Wed, 05 Oct 2022 08:54 PM (IST)Updated: Wed, 05 Oct 2022 10:24 PM (IST)
EXCLUSIVE: Delhi की सिख राजनीति में होगा बड़ा बदलाव, राजधानी में सरना के हाथ होगी शिअद बादल की कमान
बादल व सरना रहे हैं एक दूसरे के विरोधी, लगाते रहे हैं भ्रष्टाचार के आरोप

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। दिल्ली की सिख राजनीति में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। कभी बादल परिवार के विरोधी रहे परमजीत सिंह सरना उनके साथ खड़े होंगे। उन्हें दिल्ली में शिरोमणि अकाली दल (बादल) का चेहरा बनाने की तैयारी है। नौ अक्टूबर को एक कार्यक्रम आयोजित कर इसकी घोषणा होने की उम्मीद है। उस दिन सरना की पार्टी शिरोमणि अकाली दल दिल्ली का शिअद बादल में विलय किए जाने की भी बात कही जा रही है।

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सरना ने बादल परिवार को चुनौती देने के लिए शिअद दिल्ली बनाई थी। उनकी पार्टी सिर्फ धार्मिक चुनाव लड़ती है और वर्ष 2013 से पहले तक दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) की सेवा उसके पास थी।

दोनों पार्टियां एक दूसरे पर लगाती हैं भ्रष्टचार का आरोप

वर्ष 2013 के चुनाव में शिअद बादल ने सरना की पार्टी को हराकर डीएसजीएमसी की सेवा हासिल की थी। दोनों ही पार्टियां एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते थे। एक दूसरे खिलाफ कानूनी लड़ाई भी लड़ी, लेकिन बदली हुई राजनीतिक परिस्थिति में एकता की ओर कदम बढ़ने लगे हैं।

इस तरह बदलती रही पार्टी की राजनीति

पिछले साल हुए डीएसजीएमसी चुनाव में लगातार तीसरी बार जीत हासिल करने के बाद भी कमेटी की सेवा पाने से वंचित रह गई। शिअद बादल के प्रदेश अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका को डीएसजीएमसी की कमान सौंपी गई, लेकिन वह अन्य जीते हुए सदस्यों के साथ मिलकर शिरोमणि अकाली दल दिल्ली स्टेट नई पार्टी बना ली। उससे पहले दिल्ली में पार्टी का चेहरा समझे जाने वाले मनजिंदर सिंह सिरसा भाजपा में शामिल हो गए थे।

अवतार के निधन के बाद पार्टी नेतृत्व विहीन

पार्टी ने पुराने अकाली नेता अवतार सिंह हित को दिल्ली की कमान सौंपी जिनका हाल ही में निधन हो गया। इस तरह से पार्टी दिल्ली में नेतृत्व विहीन हो गई है। इन घटनाक्रम से सुखबीर सिंह बादल की चिंता बढ़ गई है। दिल्ली में उनके सामने अपनी पार्टी के अस्तित्व बचाने की चुनौती है। इस बदली हुई राजनीतिक परिस्थिति में वह अपने विरोधियों से नजदीकी बढ़ाने को मजबूर हो गए है। पिछले काफी समय से अकाली एकता की कोशिश चल रही थी। बादल व सरना के बीच कई बैठक हो चुकी हैं। पहले सरना अपनी पार्टी का शिअद बादल में विलय करने को तैयार नहीं हो रहे थे। बताते हैं कि अब यह समस्या दूर हो गई है।

पंजाब में नशे का बढ़ावा देने का आरोप

बादल परिवार सरना पर 1984 में सिखों की हत्या कराने वाली कांग्रेस पार्टी का समर्थन करने का आरोप लगाता रहा है। पंजाब में नशे को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए शिअद बादल ने कभी पंजाब में सरना परिवार की शराब की फैक्ट्री के बाहर धरना दिया था। अब उन्हें पार्टी में शामिल किया जा रहा है। सरना के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं वह गिरफ्तारी से बचने के लिए पैसे देकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का पद हासिल करना चाहते हैं।

हरमीत सिंह कालका (डीएसजीएमसी के अध्यक्ष)

जांच के लिए आयोग का गठन

चापलूसी करके राजनीति करने वाले के आरोप पर मुझे कोई जवाब नहीं देना है। कालका किसी के इशारे पर काम करते हैं। वह अपने स्तर पर कोई फैसला नहीं कर सकते हैं। डीएसजीमसी के मेरे कार्यकाल से लेकर वर्तमान प्रबंधन के कामकाज की निष्पक्ष जांच के लिए आयोग का गठन किया जाना चाहिए। इससे सच्चाई सामने आ जाएगी कि किसने गुरुघर के पैसे का दुरुपयोग किया है।

परमजीत सिंह सरना (शिरोमणि अकाली दल दिल्ली के अध्यक्ष)


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