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सीलिंग पर अडिग भूरेलाल: बोले- 'जारी रहेगी कार्रवाई', व्‍यापारियों को लगा झटका

मॉनिटरिंग कमेटी की किसी से दुश्मनी नहीं है। हम लोग नियम- कायदों के तहत ही कार्रवाई कर रहे हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 05 Feb 2018 09:06 AM (IST)Updated: Mon, 05 Feb 2018 06:45 PM (IST)
सीलिंग पर अडिग भूरेलाल: बोले- 'जारी रहेगी कार्रवाई', व्‍यापारियों को लगा झटका
सीलिंग पर अडिग भूरेलाल: बोले- 'जारी रहेगी कार्रवाई', व्‍यापारियों को लगा झटका

नई दिल्ली (जेएनएन)। पिछले करीब डेढ़ माह से सीलिंग की कार्रवाई के चलते दिल्ली अस्त-व्यस्त है। व्यापारियों की रातों की नींद उड़ी हुई है, तो सियासी गलियारों में भी हलचल मची है। व्यापारियों के बड़े वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए उन्हें राहत देने के लिए मास्टर प्लान 2021 में बदलाव की प्रक्रिया भी आरंभ कर दी गई है। कुछ इसी माहौल के बीच दिल्ली राज्य ब्यूरो के मुख्य संवाददाता संजीव गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सीलिंग मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य भूरेलाल से विशेष बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश:

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1. केंद्रीय शहरी विकास मंत्रलय की पहल के मद्देनजर सीलिंग कब तक बंद होगी?

- अभी मास्टर प्लान में बदलाव नहीं हुआ है। प्रक्रिया अवश्य चल रही है। डीडीए ने प्रस्ताव पास किया है, लेकिन जनता की आपत्तियां आ रही हैं। डीडीए का बोर्ड इन आपत्तियों के मद्देनजर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा और फिर से बैठक होगी। इसके बाद केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय उन्हें स्वीकृति प्रदान कर अधिसूचित करेगा। सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट की सहमति मिलना भी जरूरी है। तभी कुछ राहत संभव मिल सकेगी। तब तक सीलिंग ऐसे ही जारी रहेगी।

2. सियासी गलियारों में सीलिंग चर्चा का विषय बनी हुई है और बाजार भी तीन दिन से बंद चल रहे हैं। बड़े पैमाने पर सीलिंग का विरोध हो रहा है, सो अलग। इस पर आपका क्या कहना है?

- विरोध करना हर किसी का अधिकार है। कोई भी कर सकता है। राजनीतिज्ञों की भी अपनी सोच है और उनका अपना कार्यक्षेत्र है।

3. सीलिंग से प्रभावित व्यापारी मॉनिटरिंग कमेटी से बहुत नाराज हैं। इस पर आप क्या प्रतिक्रिया देंगे?

- मॉनिटरिंग कमेटी की किसी से दुश्मनी नहीं है। हम लोग नियम- कायदों के तहत ही कार्रवाई कर रहे हैं। सच तो यह है कि दिल्ली में तकरीबन 90 फीसद लोगों ने भवन उप नियमों का उल्लंघन किया है। रिहायशी क्षेत्रों को भी व्यावसायिक बना दिया गया है। चाहे आप पूर्वी दिल्ली चले जाइए या दक्षिणी, पश्चिमी या उत्तरी दिल्ली। गलियों में चलने की जगह नहीं बची है।

4. ...तो क्या मास्टर प्लान में किए जा रहे बदलाव सही हैं? क्या इससे दिल्ली की हालत और खस्ता नहीं होगी?

- दिल्ली की हालत इस वक्त कौन-सी बेहतर है। सच तो यह है कि दिल्ली स्लम बनती जा रही है। कहीं पर भी नियम कायदों का पालन नहीं हो रहा है। न पार्किंग की व्यवस्था है और न किसी को बढ़ते यातायात जाम की चिंता है। दिल्लीवासी ही दिल्ली के बारे में नहीं सोचना चाहते हैं।

5... तब आपके हिसाब से स्थिति में सुधार के लिए क्या किया जाना चाहिए?

- सबसे पहले तो सरकार को अनधिकृत कालोनियों को लेकर कोई स्पष्ट नीति बनानी चाहिए। यह नहीं कि लोग जहां कहीं भी अनधिकृत ढंग से रहना शुरू कर दें और बाद में उसे मान्य कराने के लिए राजनीतिक पहल प्रारंभ हो। अनधिकृत कालोनियों के स्थान पर सरकार को नियोजित तरीके से जनता को बसाने के लिए बहुमंजिला मकान बनाने चाहिए। वहां बिजली-पानी की व्यवस्था तथा पार्किंग व हरियाली की सुविधा हो। समस्याओं का स्थायी समाधान पुख्ता उपायों व स्पष्ट नीतियों से ही संभव है। तत्काल स्तर पर उठाए जाने वाले कदमों का प्रभाव तात्कालिक ही होता है।


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