मधुमक्खी पालनः शहद की मिठास खोल रही स्वरोजगार के द्वार
प्रशिक्षण शिविर में उद्यमी व स्वरोजगार के इच्छुक युवाओं ने हिस्सा लिया और मधुमक्खी पालन की बारीकियों को समझा। विभाग के विशेषज्ञों ने प्रशिक्षणार्थियों को मधुमक्खी पालन के लिए सरकार की तरफ से उपलब्ध कराई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में भी बताया।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। विज्ञानी शहद की मिठास में छिपे रोजगार की असीम संभावनाओं से उद्यमियों व स्वरोजगार के इच्छुक युवाओं को अवगत करा रहे हैं। राष्ट्रीय मधु मिशन के तहत विज्ञानी समय-समय पर मधुमक्खी पालन से जुड़े पाठ्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। इसके साथ ही लोगों को मधुमक्खी पालन के लिए संबंधित एजेंसियों से ऋण का प्रबंध भी करवा रहे हैं।
मधुमक्खी पालन की बारीकियों को समझा
उजवा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में राष्ट्रीय मधु मिशन के तहत समय-समय पर प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाता है। इस क्रम में पिछले दिनों एक शिविर का समापन हाल ही में हुआ है। एक सप्ताह तक चले इस प्रशिक्षण शिविर में उद्यमी व स्वरोजगार के इच्छुक युवाओं ने हिस्सा लिया और मधुमक्खी पालन की बारीकियों को समझा। इस दौरान खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे। विभाग के विशेषज्ञों ने प्रशिक्षणार्थियों को मधुमक्खी पालन के लिए सरकार की तरफ से उपलब्ध कराई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में भी बताया। यह भी बताया गया कि पूंजी की दिक्कत होने पर सरकार किस तरह से कारोबार स्थापित करने में सहायता करती है।
कई तरह के हैं फायदे
मधुमक्खी पालन के एक-दो नहीं बल्कि कई फायदे हैं। इससे आय और स्वरोजगार में सृजन तो होता ही है साथ ही आसपास की फसलों की पैदावार भी बढ़ती है। मधुमक्खी से शुद्ध शहद, रायल जेली, मोम और मौनी विष का भी उत्पादन होता है। इसके लिए खाद, बीज, सिंचाई का खर्च नहीं करना है। मधुमक्खी के मौन वंश को खेतों व मेड़ों पर रखने से कामेरी मधुमक्खी के परागण प्रक्रिया से फसल, सब्जी, फलों के उत्पादन में सवा से डेढ़ गुना उपज बढ़ जाती है।
परंपरागत खेती के साथ कर सकते हैं मधुमक्खी पालन
प्रशिक्षण के दौरान मधुमक्खी पालन से शहद के उत्पादन की जानकारियां दी गई। मधुमक्खी पालन के लिए अधिक जमीन की आवश्यकता नहीं होती है। किसान अपनी परंपरागत खेती के साथ मधुमक्खी पालन कर सकते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ डा. देवेंद्र राणा ने मधुमक्खी पालन के बाक्स का विभाजन, शहद निष्कासन की विधि, मधुमक्खी में लगने वाली बीमारियां और कीट का प्रबंध आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इस दौरान शहद को शुद्ध करने तथा इसके पैकेजिंग की भी जानकारी दी। मधुमक्खी के फी¨डग, सफाई, मादा रानी मधुमक्खी से जुड़ी जानकारी दी। साथ में बाजार में उत्पाद को बेचने तथा इसके प्रमाणीकरण के बारे में भी बताया गया।
मैं मधुमक्खी पालन को लेकर स्टार्टअप शुरू करने जा रही हूं। यह प्रशिक्षण मेरे लिए काफी लाभकारी रही। मधुमक्खी पालन के व्यावसायिक लाभ के साथ साथ यह जानना काफी महत्वपूर्ण रहा कि मधुमक्खी पर्यावरण के लिए भी काफी उपयोगी है। प्रशिक्षण के दौरान कई नई जानकारियां मिलीं।
प्राची लाड, प्रशिक्षणार्थी
कृषि विज्ञान केंद्र में इस वर्ष अभी छह प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा चुके हैं। यहां न केवल दिल्ली बल्कि आसपास के अन्य राज्यों से भी लोग प्रशिक्षण लेने पहुंच रहे हैं। मधुमक्खी पालन को लेकर जिस तरह का उत्साह देखने को मिल रहा है वह अच्छा संकेत है।
डा. देवेंद्र राणा, वरिष्ठ विज्ञानी