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कोरोना से जंग, नाद योग संग; निराशा दूर करने में साबित हो रहा मददगार

कई डॉक्टर भी सोशल मीडिया पर नाद योग संबंधी लाइव सेशन कर रहे हैं जिसका लोग भरपूर फायदा भी उठा रहे हैं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 11:30 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 11:30 PM (IST)
कोरोना से जंग, नाद योग संग; निराशा दूर करने में साबित हो रहा मददगार
कोरोना से जंग, नाद योग संग; निराशा दूर करने में साबित हो रहा मददगार

नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। कोरोना ने दिल्लीवालों की दिनचर्या बदल दी है। चौक चौराहों पर लगने वाला मजमा अब कम होता है। गली मोहल्लों में किस्से कहानियों की महफिल भी कम सजती है। महामारी के दौर में जिंदगी घर की दहलीज के अंदर सिमट गई है। स्वास्थ्य से लेकर आर्थिक परेशानियां बढ़ी है, नतीजा हताशा आैर चिंता भी बढ़ी है। लेकिन नाद योग इस मुश्किल घड़ी में बहुत मददगार साबित हो रहा है। कई डॉक्टर भी सोशल मीडिया पर नाद योग संबंधी लाइव सेशन कर रहे हैं, जिसका लोग भरपूर फायदा भी उठा रहे हैं। ध्वनियों के सम्मिश्रण से हताशा और निराशा से ना केवल पार पाया जा रहा है बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत हो रही है।

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ध्वनि तरंगों से इलाज

साउंड एंड एनर्जी मास्टर डॉ अंजू शर्मा कहतीं है कि नाद, ध्वनि होती है और योग अपने शरीर के अंदर झांकने की प्रक्रिया है। तनाव आदि ध्वनि के जरिए ही हमारे शरीर के अंदर प्रवेश करता है।ध्वनियों का तालमेल गड़बड़ाने पर ही शरीर पर प्रभाव पड़ता है। विचार ध्वनि रुप में शरीर के अंदर प्रवेश करते हैं। ये ध्वनियां या बातें कोशिकाओं पर असर डालती है। मान लीजिए आपसे किसी ने कहा कि आप के समक्ष ये विकट समस्या है या आप किसी अमुक चीज में कमजोर है। यह बात तब तक आपको प्रभावित नहीं करती, जब तक कि आप इसे मानसिक रुप से स्वीकार नहीं करते हैं। एक बार आप मान लेते हैं कि आपमें कोई कमी है तो कोशिकाएं भी तनाव में आ जाती है। यह मेंटल डिसआर्डर के रूप में सामने आता है। लॉकडाउन में रिश्ते, आर्थिक, बीमारी से लेकर तमाम चीजें है जो मेंटल डिसआर्डर का कारण बन रही है। इससे भावनात्मक और मानसिक रूप से असर पड़ा ही है। और यही असर शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

कैसे असर करता है

बकौल डॉ अंजू शर्मा हम मंत्र, ध्वनि, फ्रीक्वेंसी, वाइब्रेशन आदि के जरिए कोशिकाओं को दुरूस्त करते हैं। इसके लिए हम हिमालयन क्रिस्टल बॉल्स, तिब्बतीयन हीलिंग बॉल्स, गांग आदि का प्रयोग करते हैं। हम इनसे दो तरह की ध्वनियां निकालते हैं। ऑडिबल(20 से लेकर 20किलो हर्टज तक की ध्वनि) और इनऑडिबल। मंत्रों के उच्चारण पर हम अधिक जोर देते हैं। इससे मानसिक शांति मिलती है। बकौल डॉ अंजू फेसबुक, यूट्यूब पर हम नाद योग संबंधी लाइव सेशन भी करते हैं, जिसे काफी लोग पसंद भी कर रहे हैं। इसके अलावा भी बड़ी संख्या में युवा नाद योग की तरफ आकर्षित हुए हैं।

ध्वनि यज्ञ भी कारगर

बकौल अंजू, जनता कर्फ्यू तो याद ही होगा। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काेरोना वारियर्स के सम्मान के लिए ताली, थाली आदि बजाने पर जोर दिया था। दरअसल, योग की भाषा में वो ध्वनि यज्ञ था। यह हम घर में इस तरह के यज्ञ को चार बार करने की सलाह देते हैं। इसके जरिए ध्वनि उत्पनन की जाती है। जिससे तनाव समेत बैक्टीरिया आदि चमत्कारिक रुप से खत्म होते हैं। यह एक घंटे का होता है।


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