देश के नामी बिल्डर प्रोजेक्ट में 45000 लोगों के लगे हैं अरबों रुपये, अब फंसा बड़ा पेंच
दो बड़े प्राधिकरण अपना बकाया लाने के लिए विधि विभाग से सलाह करने में जुटे हैं,ताकि कई हजार करोड़ रुपये की रकम को खाते में लाया जा सके।
नोएडा [कुंदन तिवारी]। आम्रपाली ग्रुप की 20 परियोजनाओं में नोएडा-ग्रेटर नोएडा के करीब 45 हजार खरीदारों ने पैसा लगा रखा है। अब तक परियोजनाओं के तहत बनने वाले फ्लैटों में खरीदारों को कब्जा मिल जाना चाहिए था, लेकिन अधिकाश परियोजनाओं में खरीदारों को आशियाना नहीं मिल सका है। ऐसे में पता चला कि नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का ही चार हजार करोड़ रुपये आम्रपाली ग्रुप पर बकाया चल रहा है।
मजबूरन खरीदारों को उनका आशियाना दिलाने के लिए 2500 खरीदारों के साथ नेफोवा को कोर्ट की शरण में जाना पड़ा। नेफोवा संस्थापक इंद्रिश गुप्ता ने बताया कि अधिकाश परियोजनाओं में 2007 से 2010 के बीच बुकिंग हुई है। बुकिंग के दौरान परियोजना 10 से 20 प्रतिशत तक पैसा लिया गया। इसके बाद खरीदार अब तक फ्लैटों का 90 से 95 प्रतिशत पैसा जमा कर चुके हैं। करीब आठ साल इंतजार के बाद भी खरीदार को अपना आशियना नहीं मिल सका। नेफोवा अध्यक्ष अभिषेक ने बताया कि प्रदर्शन के बाद भी जब सुनवाई नहीं हुई तो शहर के विभिन्न थानों में धोखाधड़ी के एवज में मुकदमा दर्ज कराया गया।
इसमें कोतवाली बिसरख, सेक्टर-58, 49, 39 में आम्रपाली के खिलाफ कई दर्जन मुकदमे दर्ज हैं। यहां से काम नहीं चलने व कार्रवाई नहीं होने पर आम्रपाली के करीब 2500 खरीदारों ने सर्वोच्च न्यायालय का सहारा लिया। खरीदार दीपाकर कुमार ने बताया कि आम्रपाली ग्रुप ने घर का सपना दिखाया, लेकिन बदले में पैसा लेने के बावजूद घर नहीं दिया गया। आज का फैसला बेइमान बिल्डरों के लिए बड़ी सीख है। खरीदार केके कौशल का कहना है कि आम्रपाली की तमाम संपत्तियों की नीलामी होनी चाहिए। वहीं एनबीसीसी को भी पैसे का इंतजार किए बिना काम शुरू कर देना चाहिए।
विधि विभाग से ली जा रही है सलाह
दो बड़े प्राधिकरण अपना बकाया लाने के लिए विधि विभाग से सलाह करने में जुटे हैं,ताकि कई हजार करोड़ रुपये की रकम को खाते में लाया जा सके। इसमें नोएडा प्राधिकरण का करीब 1200 करोड़ और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का 2800 करोड़ रुपये बकाया है। इसके अलावा बैंकों का भी कई सौ करोड़ रुपये बकाया है।