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नो हाउस नो वोट और नो टू नेता, यस टू नोटा; जानें आखिर क्‍या है माजरा

आम्रपाली के फ्लैट खरीदारों ने नेफोवा के नेतृत्व में नो हाउस नो वोट मुहिम की शुरुआत की। फ्लैट खरीदार इकट्ठा हुए आगामी लोकसभा चुनाव के लिए नो हाउस नो वोट मुहिम शुरू की।

By Prateek KumarEdited By: Published: Tue, 05 Feb 2019 06:57 PM (IST)Updated: Tue, 05 Feb 2019 06:57 PM (IST)
नो हाउस नो वोट और नो टू नेता, यस टू नोटा; जानें आखिर क्‍या है माजरा
नो हाउस नो वोट और नो टू नेता, यस टू नोटा; जानें आखिर क्‍या है माजरा

नोएडा, जेएनएन। आम्रपाली के फ्लैट खरीदारों ने नेफोवा के नेतृत्व में नो हाउस नो वोट मुहिम की शुरुआत की। दरअसल, बजट में सरकार द्वारा आम्रपाली के फ्लैट खरीदारों के लिए न तो स्ट्रेस फंड और न ही ईएमआइ पर कोई राहत दी गई है। इससे नाराज निवेशकों ने सेक्टर-15 में हाथों में नो हाउस नो वोट और नो टू नेता, यस टू नोटा की तख्तियां लिए आम्रपाली के तमाम फ्लैट खरीदार इकट्ठा हुए और नेफोवा के पदाधिकारियों के साथ आगे की रणनीति पर चर्चा की।

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महिलाओं की रही काफी भागेदारी

इस दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी मौजूद थे। खरीदारों ने बताया कि सरकार ने आम्रपाली के फ्लैट खरीदारों की राहत के लिए कोई कदम नहीं उठाया है। इससे सभी खरीदारों में घोर निराशा और आक्रोश हैं। चलेगा नो हाउस- नो वोट कैंपेन बैठक में निर्णय लिया गया कि खरीदार अब नो हाउस नो वोट कैंपेन चलाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एनबीसीसी को निर्माण शुरू कराने का आदेश दिया गया है। एनबीसीसी द्वारा फंड की कमी बताई गई है।

नोटा का बटन बनेगा इनकी आवाज

अभिषेक कुमार, अध्यक्ष, नेफोवा ने बताया कि सरकार से उम्मीद थी कि वह बजट में स्ट्रेस फंड का प्रावधान कराकर निर्माण जल्द शुरू कराकर आम्रपाली के फ्लैट खरीदारों को राहत देगी, लेकिन ऐसा नही हुआ।

श्वेता भारती, नेफोवा महासचिव ने बताया कि नेफोवा लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों के छोटे-बड़े नेताओं से मिलकर आम्रपाली के घर खरीदारों के हित में आवाज उठाने और राहत के लिए गुहार लगाते रहे। लेकिन, किसी भी पार्टी किसी भी नेता को फ्लैट खरीदारों का दर्द नहीं दिखा। मजबूरन अब सभी आम्रपाली के फ्लैट खरीदार आगामी लोकसभा चुनाव में नोटा का बटन दबाएंगे।

इंद्रीश गुप्ता ने बताया कि बजट में फ्लैट खरीदारों को कोई राहत नही दी गई। खरीदार पिछले करीब दस सालों से रेंट और ईएमआइ दिए जा रहे हैं। सरकार चाहती तो ईएमआई में राहत दे सकती थी।


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