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सिस्टम पर भरोसा कायम कराने में सफल रहे शाह, दिल्‍ली में जल्‍द थमेगी कोरोना की रफ्तार

दिल्ली में कोरोना को लेकर बिगड़ते हालात को देखते हुए अमित शाह को हस्तक्षेप करना पड़ा था। इसके बाद साफ-साफ देखा जा सकता है 14 जून के पहले और बाद की स्थिति में अंतर आया है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 07:55 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 07:55 PM (IST)
सिस्टम पर भरोसा कायम कराने में सफल रहे शाह, दिल्‍ली में जल्‍द थमेगी कोरोना की रफ्तार
सिस्टम पर भरोसा कायम कराने में सफल रहे शाह, दिल्‍ली में जल्‍द थमेगी कोरोना की रफ्तार

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह दिल्ली के लोगों में सिस्टम पर भरोसा कायम कराने में सफल रहे। 14 जून के पहले और बाद में कोरोना को लेकर दिल्ली में हालात के अंतर को साफ देखा जा सकता है। कोरोना की टेस्टिंग से लेकर मरीजों के इलाज और मरने वालों के अंतिम संस्कार को लेकर मची अफरा-तफरी के माहौल के बीच इसी दिन अमित शाह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपराज्यपाल अनिल बैजल समेत वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की थी।

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आंकड़ों में देखा जा सकता है बदलाव

गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद आए बदलाव को आंकड़ों में साफ-साफ देखा जा सकता है। एक अप्रैल से 14 जून तक दिल्ली में कोरोना के कुल 2.9 लाख टेस्ट हुए थे यानी प्रतिदिन औसतन 2800 टेस्ट हुए थे। वहीं 15 से 30 जून के बीच कुल कुल 2.41 लाख टेस्ट हुए, जो औसतन 16 हजार टेस्ट प्रतिदिन बैठता है। आज की तारीख में दिल्ली में हर दिन 20 हजार से अधिक टेस्ट हो रहे हैं। यही नहीं, निजी लैब में टेस्ट की दर भी 4500 रूपये से कम कर 2400 रुपये कर दिया गया, जिससे आम लोगों को काफी राहत मिली। कम टेस्ट में अधिक कोरोना पॉजिटिव मरीज निकलने से दिल्ली में कोरोना के कम्युनिटी ट्रांसमिशन के फेज में पहुंचने की आशंका जताई जाने लगी थी। जाहिर है इससे लोगों में दहशत का माहौल बन गया था, जो अब काफी हद तक दूर हो गया है।

दूर हुई बेड की समस्‍या

टेस्टिंग में कई गुना बढ़ोतरी के साथ ही अमित शाह के हस्तक्षेप से दिल्ली में कोरोना मरीजों के लिए बेड की समस्या भी पूरी तरह दूर हो गई। 14 जून तक दिल्ली में 10 हजार से कम बेड उपलब्ध थे, जिनकी संख्या बढ़कर अब 30 हजार हो गई है। यही नहीं, निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज पर मची लूट और सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्थाओं को भी दूर किया गया। डाॅक्टर वीके पॉल कमेटी की अनुशंसा के अनुरूप निजी अस्पतालों में इलाज के खर्च को आधे से लेकर एक चौथाई तक कम किया गया। वहीं, सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्था को दूर करने के लिए खुद अमित शाह ने एलएनजेपी अस्पताल का दौरा किया। अस्तपाल के भीतर मरीजों के इलाज पर निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए और सभी अस्पतालों में बाहर डिजिटल बोर्ड पर बेड की उपलब्धता की जानकारी सुनिश्चित की गई। इसी तरह मृतकों के दाह-संस्कार की व्यवस्था को भी सुचारू बनाया गया।

दिल्‍ली और एनसीआर के बीच मची जंग हुई खत्‍म 

अमित शाह के आने से दिल्ली और एनसीआर के राज्यों के बीच मचे संग्राम पर लगाम लगाने में काफी हद तक सफलता मिली है। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ बैठकर पूरे एनसीआर के लिए कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए एक समान रणनीति बनाने की पहल की और इसे जल्द ही तैयार कर लिया जाएगा।


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