Kisan Rail Roko Andolan: दिल्ली-एनसीआर के साथ यूपी और हरियाणा के लोगों की भी बढ़ सकती है मुश्किल
संयुक्त किसान मोर्चा ने बृहस्पतिवार को देशभर में रेलवे के चक्काजाम का आह्वान कर रखा है और इसके साथ ही आंदोलन तेज होने की भी आशंका जताई जा रही है क्योंकि मोर्चा में शामिल किसान संगठन सरकार पर बातचीत के लिए बुलाने का दबाव बनाना चाहते हैं।
नई दिल्ली [संजय निधि]। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र समेत देशभर में 18 फरवरी यानी बुधवार को रेल रोको आंदोलन होगा। इससे दिल्ली-एनसीआर के साथ यूपी और हरियाणा के लोगों की मुश्किल भी बढ़ सकती है। वहीं, रेल रोको आंदोलन को लेकर दिल्ली-एनसीआर के चारों बॉर्डर (सिंघु, शाहजहांपुर, टीकरी और गाजीपुर) पर बैठे किसानों में सक्रियता बढ़ गई है। वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य और सरकार के बीच बातचीत को लेकर गतिरोध बना हुआ है। ऐसे में ट्रैक्टर परेड में उपद्रव के बाद सरकार से बातचीत बंद होने के कारण अब प्रदर्शनकारी आंदोलन को उग्र कर सकते हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने बृहस्पतिवार को देशभर में रेलवे के चक्काजाम का आह्वान कर रखा है और इसके साथ ही आंदोलन तेज होने की भी आशंका जताई जा रही है, क्योंकि मोर्चा में शामिल किसान संगठन सरकार पर बातचीत के लिए बुलाने का दबाव बनाना चाहते हैं।
कृषि कानून विरोधी आंदोलन को लेकर सरकार और किसान संगठनाें के बीच 22 जनवरी काे अंतिम बार वार्ता हुई थी। आंदाेलन लंबा खिंचता देख दूर-दराज से धरना में शामिल होने आए कुछ लोग लौटने भी लगे हैं। वहीं, आंदोलनस्थल पर कुछ लोगों का कहना है कि अब गेहूं की फसल को समय देने का वक्त आ गया है और कुछ दिनों बाद उसकी कटाई भी होगी। फिलहाल किसान नेता इस आंदोलन से सरकार पर दबाव बनाने में कामयाब नहीं हुए हैं। ऐसे में आंदोलन स्थल पर बैठे लोगों में धीरे-धीरे मायूसी आ रही है और वे धीरे-धीरे घरों की ओर लौटना शुरू हो गए हैं। आंदोलन स्थल पर आसपास के गांव व जिलों से आने वाले लोग तो अब अकसर शाम को अपने घर चले जाते हैं। किसान नेताओं को आशंका है कि यदि यही स्थिति रही तो घर लौटने वाले किसानों का फिर से आंदोलन स्थल पर लौटना मुश्किल हो जाएगा, इसलिए उनमें जोश भरने के लिए आंदोलन को लेकर नई रणनीति बनानी जरूरी है। इसे किसान संगठनों के नेता भी समझ रहे हैं। एक दिन पूर्व भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने भी कहा था कि संयुक्त मोर्चा की बैठक में वे इस बात को प्रमुखता से रखेंगे और आंदोलन को तेज किया जाएगा।
दूसरी ओर, संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता डा. दर्शनपाल ने कहा कि हम सरकार के दरवाजे पर आए हैं, अपनी डिमांड दे दी है। अब सरकार की जिम्मेदारी है कि वे हमारे साथ बातचीत कर हमारे मुद्दों को हल करें। अगर सरकार बात नहीं करना चाहती है तो हमारी जिम्मेदारी है कि हमने जो आंदोलन शुरू किया है, उसे बढ़ाएं और तेज करें, ताकि सरकार इस पर सोचे और एक्शन लेकर हमारी बात सुने। 18 फरवरी की रेल रोको आंदोलन से पहले बैठक कर हम नई रणनीति पर भी चर्चा करेंगे। साथ ही बैठक में गेहूं की फसल की कटाई का भी समय नजदीक आ गया है। इस पर भी चर्चा करेंगे कि कैसे फसल की कटाई में भी परेशानी न हो और आंदोलन भी चलता रहे। उन्होंने कहा कि हमारा आंदोलन जारी रहेगा, सरकार जब बुलाएगी, हम बातचीत के लिए जाएंगे।