82% महिलाओं को उपलब्ध नहीं होते सेनेटरी पैड, अक्षय ने मोदी सरकार से की ये मांग
अक्षय ने कहा कि मेरा जन्म यहीं पर हुआ है और आज भी मैं खुद को दिल्ली वाला ही मानता हूं।
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के नार्थ कैंपस में हजारों की संख्या में छात्र-छात्राओं और प्रशंसकों के बीच जैसे ही फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार पहुंचे लव यू अक्षय, वंदे मातरम और अन्य कई नारों से कैंपस गूंज उठा। अक्षय कुमार यहां अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की ओर से सेनेटरी पैड को कर मुक्त करने के उद्देश्य से आयोजित वुमन मैराथन का उद्घाटन करने पहुंचे थे।
निर्धारित समय के बजाय कुछ देरी से पहुंचे खिलाड़ी कुमार ने चंद मिनटों में ही समां बांध दिया। इस दौरान उन्होंने सरकार से अपील की कि सेनेटरी पैड को कर मुक्त किया जाए। जैसे ही अक्षय कुमार ने वुमन मैराथन के लिए एबीवीपी का भगवा झंडा लहराया कैंपस तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की सचिव महामेधा नागर और एबीवीपी के वरिष्ठ पदाधिकारी श्रीनिवास ने भी अक्षय कुमार के साथ मंच साझा किया। विद्यार्थियों की भारी भीड़ होने के कारण पुलिस और आयोजकों के पसीने छूट गए।
ऐसे में विद्यार्थियों से शांति बनाए रखने की अपील करनी पड़ी। इस अवसर पर अक्षय कुमार ने कहा कि सेनेटरी नैपकीन पैड को कर मुक्त करने की आवश्यकता है। पीरियड कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक सामान्य प्रक्रिया है, जिससे हर महिला को गुजरना पड़ता है।
दर्शकों के बीच अपनी रौ में पहुंचे अक्षय ने कहा कि मेरा जन्म यहीं पर हुआ है और आज भी मैं खुद को दिल्ली वाला ही मानता हूं। हमारे समाज में पीरियड को लेकर बहुत सी भ्रांतियां हैं। और इन भ्रांतियों को दूर करने की जरूरत है। पीरियड होना एक स्वस्थ शरीर की निशानी है।
आज भी भारत के कई हिस्सों मे पीरियड होने पर महिलाओं के ऊपर कई तरह की बंदिशें लगा दी जाती हैं। रसोई घर में प्रवेश नहीं करने दिया जाता है और पूजा-पाठ करने पर भी रोक लगा दी जाती है। अब इन बंदिशों को तोड़ने की जरूरत है। यह कार्य युवा ही कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि आज भी देश की लगभग 82 फीसद महिलाओं को पीरियड के दौरान पैड उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। ऐसे में उन्हें कपड़े का प्रयोग कारण पड़ता है। कपड़ा प्रयोग करने से कई तरह की बीमारियां होती हैं। मेरी सरकार से मांग है की पैड से हर प्रकार के टैक्स हटाए जाएं, ताकि प्रत्येक महिला को यह आसानी से उपलब्ध हो सके।ग्रामीण इलाकों की महिलाओं को मुफ्त में पैड दिए जाएं।