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Air Quality: वाहनों का धुआं कर रहा दिल्ली की हवा को काला, सर्दियों और गर्मियों में वायु प्रदूषण की अलग-अलग वजह

Delhi Air Quality अध्ययन के मुताबिक नवंबर 2022 से जनवरी 2023 तक तीन माह के दौरान दिल्ली के प्रदूषण में 33 प्रतिशत तक का योगदान एनसीआर के थर्मल पावर प्लांटों ईंट भट्टों औद्योगिक इकाइयों एवं पराली के धुएं का रहा।

By sanjeev GuptaEdited By: Narender SanwariyaFri, 26 May 2023 06:28 AM (IST)
Air Quality: वाहनों का धुआं कर रहा दिल्ली की हवा को काला, सर्दियों और गर्मियों में वायु प्रदूषण की अलग-अलग वजह
वाहनों का धुआं कर रहा दिल्ली की हवा को काला, सर्दियों और गर्मियों में वायु प्रदूषण की अलग-अलग वजह

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। सर्दियों और गर्मियों में दिल्ली के वायु प्रदूषण की वजह अलग अलग सामने आ रही हैं। आइआइटी कानपुर और आइआइटी दिल्ली के संयुक्त अध्ययन में सामने आया है कि नवंबर से जनवरी माह में एनसीआर जिलों के प्रदूषण से दिल्ली का पीएम 2.5 जहां 150 प्रति घन मीटर तक बढ़ गया वहीं फरवरी से मई महीने के बीच गाड़ियों का धुआं परेशानी का सबब बन रहा है। दिल्ली में स्थापित सुपरसाइट के जरिये किए गए रियल टाइम सोर्स अपार्शन्मेंट अध्ययन में सामने आया है कि नवंबर से जनवरी में दिल्ली के प्रदूषण ने एनसीआर का पीएम 2.5 बढ़ाने में केवल 60 से 80 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक का योगदान दिया, जबकि एनसीआर से बदले में दिल्ली का प्रदूषण बढ़ा।

अध्ययन के मुताबिक नवंबर 2022 से जनवरी 2023 तक तीन माह के दौरान दिल्ली के प्रदूषण में 33 प्रतिशत तक का योगदान एनसीआर के थर्मल पावर प्लांटों, ईंट भट्टों, औद्योगिक इकाइयों एवं पराली के धुएं का रहा। उत्सर्जन के समय यह कारक गैसों के रूप में थे जबकि हवा के साथ यहां तक आते आते प्रदूषण कण में बदल गए।

गर्मियों के दौरान राजधानी में प्रदूषण के स्त्रोत भी बदल गए हैं। अप्रैल मई में सबसे अधिक प्रदूषण गाड़ियों से निकलने वाले धुएं से हुआ है। फरवरी एवं मार्च के दौरान सेकेंड्री एयरोसोल (गैसों के रिएक्शन से होने वाला प्रदूषण) प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह रहा। अप्रैल- मई में सड़क की धूल से भी 15 प्रतिशत तक प्रदूषण हुआ है।

नवंबर से जनवरी तक प्रदूषण

- 24 प्रतिशत प्रदूषण की वजह खुले में कचरा या गोबर के उपले, पत्ते और लकड़ी जलाना

-17 प्रतिशत प्रदूषण की वजह रही वाहनों का धुआं

-सड़क पर टायरों की रगड़ से उत्पन्न होने वाले एयरोसोल एवं प्लास्टिक प्रोसेसिंग में निकल रहे प्रदूषक कणों ने 12 प्रतिशत तक प्रदूषण फैलाया

-सात प्रतिशत प्रदूषण ढाबों के तंदूर में जलाए जा रहे कोयले और उसकी राख से फैला

-तीन प्रतिशत प्रदूषण घरेलू कारणों मतलब खाना बनाने के तौर तरीकों व साफ सफाई की वजह से हुआ

-दो प्रतिशत प्रदूषण औद्योगिक क्षेत्रों में जब-तब चोरी छिपे जलाए जा रहे प्लास्टिक कचरे से हुआ।

दिल्ली के हाट स्पाट में प्रदूषण बढ़ाने वाले मुख्य कारकों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए द्वारका, जहांगीरपुरी, विवेक विहार, मुंडका और आनंद विहार में पांच मालिक्यूलर मार्कर नेटवर्क भी लगाए गए है। साथ ही मोबाइल एयर क्वालिटी मानिटरिंग वैन को इन हाट स्पाट पर वास्तविक समय में प्रदूषण के स्रोतों का पता लगाने के लिए वहां अलग अलग समय पर तैनात करने के निर्देश जारी किए गए है। प्रदूषण पूर्वानुमान प्राप्त होने से सरकार को नीतिगत निर्णय लेने में भी सहायता होगी।