15 अक्टूबर के बाद दिल्ली-एनसीआर के लोगों पर आने वाली है भारी मुसीबत
दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सरकारें एवं स्थानीय निकाय लगातार लापरवाही बरत रहे हैं। आलम यह है कि प्रदूषण में लगातार इजाफा हो रहा है।
नई दिल्ली (संजीव गुप्ता)। प्रदूषण की काली छाया फिर से दिल्ली-एनसीआर को अपनी चपेट में ले रही है, लेकिन दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सरकारें एवं स्थानीय निकाय लगातार लापरवाही बरत रहे हैं। आलम यह है कि पिछले साल जो क्षेत्र सर्वाधिक प्रदूषित थे, इस साल उनकी संख्या में और इजाफा हो गया है। आनंद विहार के साथ-साथ गुरुग्राम भी पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) की परेशानिया बढ़ा रहा है। दोनों ही प्रदूषण के मामले में नंबर एक स्थान पर बने हुए हैं।
विडंबना यह कि न तो आनंद विहार में एक साल से कोई ठोस कदम उठाया जा सका है और न ही गुरुग्राम कोई हल निकाल पा रहा है। ईपीसीए की बैठक में भी इन दोनों को लेकर स्थानीय निकायों के पास कोई जवाब नहीं था। आनंद विहार एवं गुरुग्राम प्रदूषण के मामले में हॉट स्पॉट की लिस्ट में पहले स्थान पर हैं। दोनों स्थानों की स्थिति बेहद खराब हैं। दूसरे स्थान पर गाजियाबाद, भिवाड़ी और डीटीयू को रखा गया है। ये तीनों भी खराब स्थिति के बेहद करीब हैं।
तीनों पिछले साल भी हॉट स्पॉट की लिस्ट में थे, लेकिन प्रदूषण की समस्या इतनी जल्दी शुरू नहीं हुई थी। इसी तरह गुरुग्राम में कंस्ट्रक्शन एंड डिमॉलिशन वेस्ट (ईपीसीए) को सड़कों के किनारे डंप किया जा रहा है। इसकी वजह से धूल का एक गुबार दिखाई दे रहा है। हालाकि बसई में एक जगह सीएंडडी वेस्ट प्लाट बन रहा है, लेकिन अभी वहा कोई व्यवस्था नहीं है।
स्थानीय निकायों के पास भी इस समस्या का कोई समाधान नहीं है। इसके अलावा गुरुग्राम में जेनरेटर सेट का भी खूब इस्तेमाल हो रहा है। वहां की कई सोसायटियों और मॉल में आज भी बिजली के कनेक्शन नहीं हैं। बारिश खत्म होते ही दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ा है।
आलम यह है कि अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में ही पीएम 2.5 बहुत खराब श्रेणी में आ गया है। 15 अक्टूबर के बाद हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने का सिलसिला रफ्तार पकड़ेगा तो दिल्ली की हवा और प्रदूषित हाने की संभावना है।
भूरेलाल (अध्यक्ष, ईपीसीए) का कहना है कि कितनी ही बार बैठकें कर चुके हैं, दिल्ली-एनसीआर के सभी राज्यों के मुख्य सचिवों से भी बात कर चुके हैं। खुद भी उन राज्यों का दौरा कर चुके हैं। गाइडलाइंस जारी करने के साथ-साथ ग्रेडिंग रिस्पांस सिस्टम भी बनवा चुके हैं। इन सब पर काम कराना राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों का काम है, लेकिन सार्वजनिक परिवहन सुधर नहीं रहा है। कूड़ा जलाने वालों पर कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है। पराली भी जलने का समय नजदीक है।