Air Pollution: एक्सपर्ट ने कहा- ऑड इवेन का लाभ दिल्ली सहित चार शहरों को मिलता है
ऑड इवन में लाखों गाड़ियां सड़कों से दूर होती हैं और ट्रैफिक कंजेशन की केवल नोएडा-ग्रेटर नोएडा में ही सड़कों से तीन लाख गाड़ियां प्रति दिन दूर हो जाती हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। ठंड की शुरुआत होते ही दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का प्रकोप अब हर वर्ष की कहानी बन गई है। दिल्ली में ट्रैफिक कंजेशन की वजह से होने वाले प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए ऑडइवेन फार्मूला दिल्ली सरकार ने निकाला है। इससे दिल्ली के साथ-साथ नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम व फरीदाबाद को भी लाभ मिलता है। वहां भी लाखों की संख्या में गाड़ियां सड़कों से दूर होती हैं और ट्रैफिक कंजेशन की केवल नोएडा-ग्रेटर नोएडा में ही सड़कों से तीन लाख गाड़ियां प्रति दिन दूर हो जाती हैं। ऐसा ही आंकड़ा गाजियाबाद, गुरुग्राम व फरीदाबाद का भी है ।
कम हो जाती है ट्रैफिक की समस्या
दरअसल एनसीआर से काफी संख्या में लोग दिल्ली में नौकरी या व्यवसाय के लिए प्रति दिन अपनी कारों से जाते हैं व दिल्ली से भी लोग इन शहरों में आते हैं। दिल्ली की तर्ज पर नोएडा में भी उसी दौरान ऑड-इवेन फॉर्मूला लागू करने को लेकर प्रशासन की तरफ से विचार हुआ था, लेकिन उस पर कोई निर्णय नहीं हो सका।
प्रदूषण रोकने के लिए ऑड इवेन स्थाई समाधान
दरअसल प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए ऑड-इवेन स्थाई समाधान नहीं है। इससे प्रदूषण से तत्कालिक रूप से थोड़ी राहत जरूर मिलती है। जिस प्रकार से एनसीआर में गाड़ियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है उस पर अंकुश लगाने की जरूरत है। लेकिन उसके लिए पहले पूरे एनसीआर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को मजबूत करने की जरूरत है। अगर पब्लिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था बेहतर होगी व लोगों में उसके उपयोग करने को लेकर जागरूकता बढ़ेगी तो वह सड़कों पर गाड़ियों की संख्या कम करने के लिए स्थाई विकल्प होगा।
अभी मेट्रो का ही है सहारा
उच्च स्तरीय ट्रांसपोर्ट सिस्टम के नाम पर फिलहाल एनसीआर क्षेत्र को दिल्ली से जोड़ने के लिए केवल मेट्रो सुविधा है। उसमें भी पीक आवर में यात्रियों का दबाव काफी अधिक होता है। जिसकी वजह से लोग उस समय में रोज सफर करने से कतराते हैं। मेट्रो स्टेशन से सेक्टरों में आने जाने के लिए उचित प्रबंध नहीं हैं। जिसकी वजह से लोग अपनी गाड़ी में सफर करने में अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं। इसकी वजह से सड़कों पर गाड़ियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होती है। अगर इस पर अंकुश लगाने में कामयाबी मिली तो सड़कों से गाड़ियों को कम करने का स्थाई समाधान होगा।
अंकुश लगाने के लिए भी बड़े स्तर पर काम करने की जरूरत
तत्कालिक रूप से वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए भी बड़े स्तर पर काम करने की जरूरत है। ट्रैफिक कंजेशन व गाड़ियों से निकलने वाले धुंए से जितना प्रदूषण फैलता है उससे कम निर्माण कार्य व सड़कों पर उड़ने वाली धूल भी नही है। खासकर एनसीआर क्षेत्र में निर्माण कार्य से उस क्षेत्र की सड़कों पर अन्य दिनों में भी दिक्कत होती है।