एम्स में अत्याधुनिक तकनीक से बगैर चीरा लगाए होगा शवों का वर्चुअल पोस्टमार्टम
एम्स के फारेंसिक विभागाध्यक्ष के विभागाध्यक्ष डा. सुधीर गुप्ता ने कहा कि अप्राकृतिक मौत के मामलों में पोस्टमार्टम पुलिस की जांच का अहम हिस्सा होता है। इसके लिए चीरा लगाकर शवों का परीक्षण करना पड़ता है। एम्स में हर साल करीब तीन हजार पोस्टमार्टम किया जाता है।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। एम्स में वर्चुअल पोस्टमार्टम के लिए फारेंसिक रेडियोलॉजी लैब अब पूरी तरह तैयार हो चुकी है। इसमें डिजिटल एक्सरे के बाद सीटी (कंप्यूटेड टोमोग्राफी) मशीन लगाई गई है। जिसकी मदद से बगैर चीरा लगाए शवों का पोस्टमार्टम हो सकेगा। आत्महत्या व हादसों में मौत के शिकार लोगों के पोस्टमार्टम में इस तकनीक का इस्तेमाल होगा। हत्या के कुछ मामलों में भी इस तकनीक की मदद ली जा सकेगी। शनिवार को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के महानिदेशक डा. बलराम भार्गव ने इस सुविधा की शुरुआती की।
एम्स के फारेंसिक विभाग के डाक्टर कहते हैं कि वर्चुअल पोस्टमार्टम शुरू करने वाला भारत दक्षिण पूर्व एशिया का पहला देश है। आइसीएमआर के सहयोग से देश में भी अभी सिर्फ एम्स में इसकी सुविधा शुरू की गई है। आने वाले समय में देश कुछ अन्य बड़े चिकित्सा संस्थानों के फारेंसिक विभाग में इस तरह की सुविधा शुरू की जा सकती है।
एम्स के फारेंसिक विभागाध्यक्ष के विभागाध्यक्ष डा. सुधीर गुप्ता ने कहा कि अप्राकृतिक मौत के मामलों में पोस्टमार्टम पुलिस की जांच का अहम हिस्सा होता है। इसके लिए चीरा लगाकर शवों का परीक्षण करना पड़ता है। एम्स में हर साल करीब तीन हजार पोस्टमार्टम किया जाता है। इनमें से 30 से 50 फीसद मामले ऐसे होते हैं जिनमें बगैर चीरा लगाए पोस्टमार्टम हो सकता है। जिसमें हादसे में जान गंवाने वाले व आत्महत्या जैसे मामले शामिल होते हैं।
इस तरह होगा पोस्टमार्टम
शव को प्लास्टिक बैग में पैक कर उसकी सीटी स्कैन की जाएगी। इस दौरान सिटी स्कैन मशीन कुछ ही सेकेंड में हजारों तस्वीर ले सकेगी। जिससे डाक्टर मौत के कारणों का पता लगा सकेंगे। इस तकनीक से आधे घंटे में पोस्टमार्टम हो सकेगा। इस तकनीक का फायदा यह भी है कि शरीर के किसी हिस्से में फ्रैक्चर होने पर आसानी से पता लगाया जा सकेगा। डा. गुप्ता ने कहा कि जहर या नशीले पदार्थ के कारण मौत सहित कुछ खास मामलों को छोड़कर हत्या के मामलों में भी वर्चुअल पोस्टमार्टम की मदद ली जा सकती है। जहर या नशीले पदार्थ के कारण हुई मौत के मामलों में विसरा जांच करनी पड़ती है। इसलिए चीरा लगाना जरूरी हो जाता है। यदि किसी की मौत गोली लगने से हुई हो तो भी सीटी स्कैन या डिजिटल एक्सरे से गोली का पता लगाकर आसानी से पोस्टमार्टम हो सकेगा।
स्विट्जरलैंड में डाक्टर ने लिया प्रशिक्षण
डा. गुप्ता ने कहा कि स्विट्जरलैंड, अमेरिका और आस्ट्रेलिया में इस तरह की सुविधा पहले से है। स्विट्जरलैंड के जूरिक में वर्चुअल पोस्टमार्टम का सबसे बेहतर सेंटर है। डा. गुप्ता वहां खुद दौरा कर चुके हैं। इसके अलावा फारेंसिक विभाग के एक अन्य वरिष्ठ डाक्टर को भी वहां भेजा गया था। उन्होंने वहां 15 दिन प्रशिक्षण लिया है।
डिजिटल एक्सरे की मदद से ढाई हजार शवों का पोस्टमार्टम
वर्ष 2017 में एम्स में डिजिटल एक्सरे की मदद से पोस्टमार्टम शुरू किया गया था। इस तकनीक की मदद से अब तक 2500 शवों का पोस्टमार्टम हो चुका है। डा. गुप्ता ने बताया कि हाल ही में मुथूट समूह के चेयरमैन एमजी जार्ज मुथूट की ऑटोप्सी भी इस तकनीक से हुई थी। उल्लेखनीय है कि वह घर की सीढ़ियों से फिसलकर गिर गए थे।